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विवाह कब और कहां होगा, कैसा होगा जीवनसाथी, जानना चंद मिनट का खेल

भारतीय ज्योतिष में लग्न चक्र के आधार पर यह जाना जा सकता है कि किसी भी जातक का विवाह कब होगा। यह जानने के लिए के जन्म कुंडली के प्रथम, द्वितीय, सप्तम और नवम भावों का विचार किया जाता है। मतांतर से इन भावों के अतिरिक्त चतुर्थ, पंचम और द्वादश भावों का विचार भी किया जाता है।

सप्तम भाव है विवाह का सबसे प्रमुख भाव-
जन्म कुन्डली का सातवां भाव विवाह पत्नी ससुराल प्रेम भागीदारी और गुप्त व्यापार के लिये माना जाता है। सातवां भाव अगर पापग्रहों द्वारा देखा जाता है,उसमें अशुभ राशि या योग होता है, तो स्त्री का पति चरित्रहीन होता है, स्त्री जातक की कुंडली के सातवें भाव में पापग्रह विराजमान है,और कोई शुभ ग्रह उसे नही देख रहा है, तो ऐसी स्त्री पति की मृत्यु का कारण बनती है, परंतु ऐसी कुंडली के द्वितीय भाव में शुभ बैठे हों तो पहले स्त्री की मौत होती है, सूर्य और चन्द्रमा की आपस की द्रिष्टि अगर शुभ होती है तो पति पत्नी की आपस की सामजस्य अच्छी बनती है।

सप्तम भाव में शुक्र स्वराशि वृषभ का हुआ तो पति अति सुन्दर होगा। सुन्दर से तात्पर्य गोरा नहीं, बल्कि नाक-नक्श उत्तम व चेहरा आकर्षक होगा। वृषभ का शुक्र कामुक भी बनाता है अतः वह कामुक भी होगा।

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Web Title-When and where will the marriage happen how will a life partner know a few game
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