हिंदू
संस्कारों में विवाह के समय कन्या के माता-पिता द्वारा इसी भाव से वर का
पाद प्रक्षालन किया जाता है। कुछ विद्वानों की ऐसी मान्यता है कि शरीर में
स्थित प्राण वायु के पांच स्थानों में से पैर का अंगूठा भी एक स्थान है।
जैसे- तत्र प्राणो नासाग्रहन्नाभिपादांगुष्ठवृति (1) नासिका का अग्रभाग (2)
हृदय प्रदेश (3) नाभि स्थान (4) पांव और (5) पांव के अंगूठे में प्राण
वायु रहती है। चिकित्सा विज्ञान भी यह मानता है कि पांव के अंगूठे में कक
ग्रंथि की जड़ें होती हैं, जिनके मर्म स्पर्श या चोट से मनुष्य की जान जा
सकती है।
मनुष्य के पांव के अंगूठे में विद्युत संप्रेक्षणीय शक्ति होती है। यही
कारण है कि वृद्धजनों के चरणस्पर्श करने से जो आशीर्वाद मिलता है उससे
अविद्या रूपी अंधकार नष्ट होता है और व्यक्ति उन्नति करता है। ये भी पढ़ें - ऐसे करें पूजा, घर में कभी नहीं आएगी धन की कमी
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