किसी भी धार्मिक आयोजन, कथा, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन आदि के
समय शंख बजाने को अत्यंत शुभ माना जाता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि से
वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा और हानिकारक जीवाणु एवं विषाणुओं का नाश
हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।
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प्रभावशाली रत्न है शंख
माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय निकलने वाले चौदह रत्नों में
से एक रत्न शंख भी था। धार्मिक तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बहु उपयोगी
है। शंख बजाने से कुंभक, रेचक तथा प्राणायाम क्रियाएं एक साथ होती हैं,
इसलिए स्वास्थ्य भी सही बना रहता है। वहीँ कैल्सियम कार्बोनेट से निर्मित
होने के कारण यदि शंख में रात भर गंगा जल भरकर प्रातः सेवन किया जाए तो
शरीर में कैल्सियम तत्व की कमी नहीं होने पाती है और छोटी-मोटी बीमारियों
से बचाव। आयुर्वेद के मतानुसार शंख की भस्म के औषधीय प्रयोग से हार्ट अटैक,
ब्लड प्रेशर, अस्थमा, मंदाग्नि, मस्तिष्क और स्नायु तंत्र से जुड़े रोगों
में आशातीत लाभ मिलता है। लयबद्ध ढंग से शंख बजाने से फेफड़ों को मजबूती
मिलती है तथा शरीर में शुद्ध आक्सीजन का प्रवाह होने से रक्त भी शुद्ध होता
है।
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