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प्रथम पहर के सपने हो सकते हैं सच, सपनों का मतलब जरूर समझें

सोने के बाद सपने देखना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। स्वप्न दिन या रात्रि में कभी भी दिखायी दे सकते हैं। देखे गए स्वप्न अच्छे अथवा बुरे होते हैं, जिन्हें ज्योतिष शास्त्र की भाषा में शुभ अथवा अशुभ कहा जाता है। दिन में देखे गए गए स्वप्न फल रहित होते हैं परन्तु रात्रि के प्रथम पहर में जो स्वप्न दिखायी देते हैं, उनका शुभ या अशुभ प्रभाव एक वर्ष की अवधि में मिलता है। प्रातः काल में स्वप्न देखने के बाद यदि जातक जाग जाता है और दोबारा शयन नहीं करता तो उसके देखे गए स्वप्न शीघ्र फलदायी माने जाते हैं। यदि रात्रि में जातक एक से अधिक स्वप्न देखता है तो उसका अंतिम स्वप्न ही फलदायी होता है। अस्वस्थ, रोगी, असंयमी, चिंता एवं उन्मादग्रस्त, मूत्र और शौच के वेग के अधीन देखे गए स्वप्न व्यर्थ होते हैं। क्या होते हैं सपनों के मायने जानें जरा-


शुभ तथा अशुभ स्वप्नों की अवधारणा देखे गए स्वप्न के प्रकार पर निर्भर होती है। स्वप्न में कबूतर, गिद्ध, श्वान, सियार, मुर्गा, बिलाव, सर्प, कबूतर, सूखा हुआ पेड़, पर्वत, पत्थर, शिखर, ध्वजा, भस्म एवं अंगारे, जल में डूबना, सूर्य या चन्द्र ग्रहण, सूखी नदी, दलदल, बंद द्वार, धुंआ, सुराही, केंची, काले वस्त्र धारण करने वाली महिला के साथ प्रेम प्रदर्शन, दांत घिसना, हंसता हुआ साधू और सन्यासी, राक्षस की आकृति, मरण दृश्य, किसी वस्तु की चोरी, मिष्ठान और पकवान का सेवन करना आदि देखना अशुभ माना गया है।

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Web Title-The dreams of the first afternoon can be true know the meaning of dreams
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