शास्त्रों में लिखा है कि सावन के महीने में महादेव की
पूरे मनोयोग से पूजा करने से कई जन्मा सुधर जाते हैं। लेकिन हम आपको बता
रहे हैं ऐसा सुखद रहस्यं जिसका बहुत ही कम लोगों पता होगा। शिव पुराण के
अनुसार सावन के महीने में अमावस्याख की रात यदि भोलेनाथ की चारों प्रहरों
में पूजा की जाए तो न केवल लक्ष्मीे हमेशा आपके निवास पर चिरकाल तक रहेगी
बल्कि कुबेर का भी डेरा यही हो जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सावन मास
चातुर्मास के अंदर रहता है। इसमें भिक्षु, संन्यासी, मुनि, वैरागी, स्थविर
और ब्राह्मण-क्षत्रिय सभी कुटिया में वास करते हैं। वैदिक अनुष्ठान
चातुर्मास की शुरुआत सावन से ही होती है। ऐसे में ध्यान ही एकमात्र कर्म है
और मन ही साधक का एकमात्र संगी। मन वश में रहे तो कोई परेशानी नहीं। तब
बाहर अविराम वर्षा चले, फुर्राट वाली वर्षा हो, झड़ी लगी हो या धारासार
वर्षण हो रहा हो, पर योगी का मन न इनसे विकल होता है और न ही प्रमत्त। सावन
की बरखा में वह भीतर-भीतर मन पर हंस की तरह आसन जमाए अविचल और अविकल भाव
से ईश्वर की लीला को देखता रहता है और सांसारिक सुख को महासुख में बदलकर
भोगता है। श्रावण में संन्यासी अपनी चेतना को रूप लोक से ऊपर अरूप-लोक में
स्थित करने की चेष्टा करता है। वस्तुत: सावन आने-जाने वाला काल मात्र नहीं
बल्कि यह तो पूरी तरह से हमारी आध्यात्मिक संस्कृति में रचा-बसा है।
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