3- बिल्वपत्र तोड़ते समय आचारेन्दु ने निम्न मन्त्र के उच्चारण का निर्देश दिया है- ये भी पढ़ें - पार्टनर को करना है वश में, तो अपनाएं ये टोटके
अमृतोद्धव! श्रीवृक्ष! म्हादेव प्रिय: सदा।
गृहणामि तब पत्राणि तब पत्राणि शिवपूजार्थमादरात।।
4- लिंग पुराण घोषणा करता है कि-
अमरिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे।
बिल्व पत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेंतृ।।
अर्थात:- चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रान्ति (सूर्य के राशि परिर्वतन के समय) और सोमवार को बिल्वपत्र न तोड़ें, लेकिन बिल्वपत्र भगवान शिव को अति प्रिय हैं, अत: निषिद्ध समय में पहले दिन का रखा हुआ बिल्व पत्र चढ़ाना चाहिए। स्कन्द पुराण एवं आचारेन्दु में यहां तक भी कहा गया है - अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षल्यापि पुन: पुन: अर्थात यदि नए बिल्वपत्र न मिल सकें तो चढ़ाए हुए बिल्व पत्र को भी धोकर बार बार चढ़ा सकते हैं।
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