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कभी देखी है भगवान श्रीकृष्ण की दुर्लभ जन्म कुंडली, अद्भुत, अभूतपूर्व

गर्ग मुनि द्वारा की गई ज्योतिषीय गणना के अनुसार कृष्ण का जन्म विभव नामक सरस संवत में, भादो कृष्णपक्ष, अष्टमी बुधवार को मध्यरात्रि में रोहिणी नक्षत्र तथा हर्षण नामक योग में हुआ था। इनके जन्म समय में वृष लग्न विद्यमान थी। अन्य ग्रह गोचर इस प्रकार थे- चंद्रमा वृष राशि में उच्च का होकर लग्न में केतु के साथ था।

सूर्य स्वराशि का सिंह राशि में चतुर्थ भाव में, मंगल उच्च का मकर राशि में भाग्य स्थान में, बुध उच्च का कन्या राशि में पंचम भाव में, शुक्र स्वराशि का तुला में उच्चगत शनि के साथ छठे भाव में, राहु सप्तम भाव में वृश्चिक राशि में तथा गुरु स्वराशि का लाभ स्थान में विद्यमान था। इन ग्रह स्थितियों के कारण बनने वाले योगों में लग्न में उच्च का चंद्रमा मृदंग योग का निर्माण कर रहा है, जो सभी शारीरिक सुख प्रचुर मात्रा में प्रदान कर शासनाधिकारी बनाता है।

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