पारद को दुनिया का सबसे शुद्ध पदार्थ माना गया है। कहते हैं
कि पारद भगवान भोलेनाथ को सबसे ज्याोदा प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार
पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता
में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष
वर्णन मिलता है। रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है और इसी शिवलिंग का
पूजन कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण की लंका में तब्दील कर दिया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शिवमहापुराण
में शिवजी का कथन है कि करोड़ शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है
उससे भी करोड़ गुना अधिक फल पारद शिवलिंग की पूजा और उसके दर्शन मात्र से
ही प्राप्त हो जाता है। ब्रह्म हत्या, गौहत्या जैसे जघन्य अपराध पारद
शिवलिंग के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं। इसके स्पर्श मात्र से मोक्ष की
प्राप्ति होती है।
जो मनुष्य पारद शिवलिंग की भक्ति पूर्वक
पूजा-अभिषेक तथा दर्शन करता है, उसे तीनों लोकों में स्थित समस्त
शिवलिंगों के पूजन का फल मिलता है। कहते हैं सौ अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर
का फल प्राप्त होता है। यह सभी तरह के लौकिक तथा परलौकिक सुख देने वाला
है। इस शिवलिंग का जहां पूजन होता है वहां साक्षात शंकर का वास होता है।
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