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राहु के होंगे ऐसे योग, तो लव मैरिज को कोई नहीं रोक सकता 

जब राहु लग्न में हो, परन्तु सप्तम भाव पर गुरु की दृ्ष्टि हो, तो व्यक्ति का प्रेम विवाह होने की संभावनाए बनती है। राहु का संबन्ध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने का सोचता है।

राहु को स्वभाव से संस्कृ्ति व लीक से हटकर कार्य करने की प्रवृ्ति का माना जाता है। जब जन्म कुण्डली में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हो, तब भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती हैं।

कुण्डली के सभी ग्रहों में इन तीन ग्रहों को सबसे अधिक अशुभ व पापी ग्रह माना गया है। इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव, भावेश से संबन्ध बनाता है, तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है।

जिस व्यक्ति की कुण्डली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहु की दृ्ष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की सम्भावनाएं बनती है। जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हो, तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।

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Web Title-Rahu will be such a yoga then not a single problem will come in the way
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