घर या व्यापारिक स्थल में वास्तु दोष होने अथवा गलत दिशा
में पूजा स्थल होने के कारण भी की गयी पूजा पाठ या उपाय कोई लाभ नहीं देते
हैं। इसलिए अगर वास्तु दोष है तो पहले उसका उपचार कराना चाहिए और पूजा
स्थल को सही दिशा में शिफ्ट कर देना चाहिए।
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मंदिर या पूजा स्थल पर दीपक जलाते समय भी इस बात का ध्यान
रखना चाहिए की दीपक में शुद्ध घी या शुद्ध तिल का तेल अथवा सरसों का तेल और
कपास से बानी बाती का ही उपयोग किया जाए। दीपक मिटटी या पीतल अथवा तांबे
से बनी धातु का हो। लोहे से निर्मित दीपक का प्रयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा
शुभ परिणाम नहीं मिलेंगे।
विशेषज्ञ ज्योतिष की सलाह लिए बिना गलत रत्न धारण करना लाभ
की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। किसी रत्न के अनुकूल न होने पर घबराहट,
बेचैनी, अनिद्रा, विचित्र प्रकार के स्वप्न आने जैसी समस्याएं आने लगती
हैं। वहीँ दूसरी ओर यदि विधि-विधान से पूजा और शुद्ध किये बिना सही रत्न
धारण कर लिया जाये तो भी उसके शुभ परिणाम नहीं मिलते हैं। इसलिए जब भी रत्न
धारण करना हो उचित सलाह के बाद पूर्ण शुद्धिकरण एवं पूजा पाठ द्वारा सिद्ध
करके ही सम्बंधित नक्षत्र और दिन को धारण किया जाये।
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