वर्षा ऋतु में नाग
पंचमी- वर्षा ऋतु में नाग पंचमी मनाने के पीछे भी ठोस कारण हैं। दरअसल,
बरसात में बिलों में पानी भर जाने से सांप बाहर आ जाते हैं। वे आश्रय की
खोज में रिहायशी इलाकों, सडक़ों, खेतों, बाग-बगीचों और झुरमुटों में आकर छिप
जाते हैं। ऐसे में हम सब उन्हें देख कर भयभीत होते हैं। हालांकि सच यह है
कि मनुष्य जितना सांपों से डरता है, उतना ही वे भी मनुष्य से डरते हैं।
बिना कष्ट पाए या छेडखानी के वे आक्रमण नहीं करते। ऐसे में वे हमें कोई
नुक्सान न पहुंचाएं, इसके लिए उनकी पूजा करके प्रसन्न करने की प्रथा
स्वाभाविक है। ये भी पढ़ें - धन और ऐश्वर्य के लिए करें इन पेडों की पूजा
नाग पूजा की परम्परा- नाग पूजा हमारे देश में
प्राचीन काल से प्रचलित है। वराह पुराण में इस उत्सव के इतिहास पर प्रकाश
डालते हुए बताया गया है कि आज के ही दिन सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने अपने
प्रसाद से शेषनाग को विभूषित किया था। इनके द्वारा पृथ्वी धारण रूप में
अमूल्य सेवा करने के अतिरिक्त नाग जाति के और भी महत्वपूर्ण कार्य हैं।
समुद्र मंथन के समय वासुकि नाग की रस्सी बनाई गई थी। यही कारण है कि आदि
ग्रंथ वेदों में भी नागों को नमस्कार किया गया है। यजुर्वेद में लिखा है
नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु येन्तरिक्षे। श्ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नम:।।
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