ब्रह्मा जी का प्रकोप
फलत: वहाँ नकारात्मक ऊर्जा व्याप्त होकर वहाँ के निवासियों के जीवन को अपने
स्वाभावानुसार प्रभावित करके कष्ट एवं दु:ख का कारण न जाती है। साधारण सी
बात है। किसी भी देश, राज्य, शहर का संचालन वहाँ का केन्द्र ही करता
है।किसी भी घर में ब्रह्म स्थान बड़ा महत्व रखता है। ये घर का बिलकुल बीच
वाला स्थान होता है. इसी स्थान से ऊर्जा पुरे घर में प्रवाहित होती है.
वास्तु शास्त्र में इसे सूर्य का स्थान माना जाता है।
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किसी भी घर/भवन/मकान में घर में ब्रह्मस्थान एक तरह से
हमारे पेट की तरह होता है। खाना हम खाते तो मुँह से है लेकिन वितरण का काम
पेट का है इसी तरह से ऊर्जा उत्पन्न उत्तर-पूर्व यानि के ईशान से होती है
लेकिन प्रवाह ब्रह्मस्थान से ही होता है।
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