ज्योतिषीय कारण जातक की शादी में विलंब के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि बिटिया की शादी तय होने में बार-बार रुकावट आ रही हो, तो शादी से संबंधित बाधक ग्रह-योगों के उपाय करने से शादी के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होकर शीघ्र उत्तम घर व वर मिलने में मदद मिलती हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कुंडली में विवाह का विचार मुख्यत: सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को ध्यान मे रखकर किया जाता है। सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि कुंडली में विवाह से संबंधित भाव यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि वही इस भाव का स्वामी होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति प्रमुख रूप से विचारणीय होती है, क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक है। लग्नेश का सप्तमेश एवं पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता है। विवाह संबंधी प्रश्नों में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली तीनों से ही विचार करना चाहिए। जन्म कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं, जो विवाह में विलंब का कारण बनते हैं।
बाधक ग्रहों को जानें :
सर्वप्रथम विवाह में बाधक ग्रहों की पहचान कर उस ग्रह से संबंधित व्रत, दान, जप आदि करने चाहिए। पितृ शांति कराएं। पति के कारक ग्रह गुरु के व्रत विशेष लाभकारी होते हैं। इस दिन हल्दी मिश्रित जल केले के पेड़ को चढ़ाएं, घी का दीपक जलाएं तथा गुरु मंत्र ओम ऐं क्लीं बृहस्पतये नम: का जप करें। गुरुवार को पके केले स्वयं नहीं खाएं। इनका दान करें। इसके अलावा अपनी राशि के अनुसार उपाय करें, शीघ्र विवाह के अवसर प्राप्त होंगे।
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