जब चंद्रमा गोचर में कुंभ और मीन राशि से होकर गुजरता है तो
यह समय अशुभ माना जाता है इस दौरान चंद्रमा धनिष्ठा से लेकर शतभिषा,
पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती से होते हुए गुजरता है इसमें
नक्षत्रों की संख्या पांच होती है इस कारण इन्हें पंचक कहा जाता है। कुछ
कार्य ऐसे हैं जिन्हे विशेष रुप से पंचक के दौरान करने की मनाही होती है।
पंचक में आने वाले नक्षत्रों में शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में आने वाला
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है,
वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार,
मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं। पंचक को भले ही अशुभ माना
जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। पंचक
में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार
को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस
प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है।
रोग पंचक: रविवार
को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन
शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के
शुभ काम नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना
गया है।
राज पंचक: सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है।
ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों
में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता
है।
अग्नि पंचक: मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है।
इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त
करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक
में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना
अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।
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