ज्योतिष के अनुसार रोग विशेष की उत्पत्ति जातक के जन्म समय
में किसी राशि एवं नक्षत्र विशेष पर पापग्रहों की उपस्थिति, उन पर पाप
दृष्टि,पापग्रहों की राशि एवं नक्षत्र में उपस्थित होना, पापग्रह अधिष्ठित
राशि के स्वामी द्वारा युति या दृष्टि रोग की संभावना को बताती है। इन
रोगकारक ग्रहों की दशा एवं दशाकाल में प्रतिकूल गोचर रहने पर रोग की
उत्पत्ति होती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रत्येक ग्रह, नक्षत्र, राशि एवं भाव
मानव शरीर के भिन्न-भिन्न अंगो का प्रतिनिधित्व करते है।
जानिए ज्योतिषीय कारण उदर रोग के
उदर विकार उत्पत्र करने में भी शनि एक महत्वपूर्ण भुमिका निभाता हैं। सूर्य
एवं चन्द्र को बदहजमी का कारक मानते हैं, जब सूर्य या चंद्र पर शनि का
प्रभाव हो, चंद्र व बृहस्पति को यकृत का कारक भी माना जाता है। इस पर शनि
का प्रभाव यकृत को कमजोर एवं निष्क्रिय प्रभावी बनाता हैं। बुध पर शनि के
दुष्प्रभाव से आंतों में खराबी उत्पत्र होती हैं। वर्तमान में एक कष्ट कारक
रोग एपेण्डीसाइटिस भी बृहस्पति पर शनि के अशुभ प्रभाव से देखा गया है।
शुक्र को धातु एवं गुप्तांगों का प्रतिनिधि माना जाता हैं। जब शुक्र शनि
द्वारा पीडि़त हो तो जातक को धातु सम्बंधी कष्ट होता है। जब शुक्र पेट का
कारक होकर स्थित होगा तो पेट की धातुओं का क्षय शनि के प्रभाव से होगा।
ऐसे बीतेगा 12 राशि के जातकों का आज 18 मार्च 2024 का दिन
चमत्कारी है कपूर, जीवन को संवारने का काम करता है यह
आज का राशिफल : ऐसे बीतेगा 12 राशि के जातकों का दिन
Daily Horoscope