विवाह का मुहूर्त निकालते समय एक साथ तरह की पूजा का बखान
शास्त्रों में किया गया है। कुछ खास पंडित ही ऐसी पूजा अपने यजमानों से
करवाते हैं। सुधी पाठकों को भी ऐसी पूजा के बारे में जानना बेहद जरूरी है।
विवाह मुहूर्त शोधन में जब कन्या के लिए गुरु पूज्य हो तो लोकभाषा में उसे
पीली पूजा तथा वर के लिए सूर्य पूज्य होने पर सफेद पूजा के नाम से जाना
जाता है। गुरु और सूर्य की पूज्य स्थिति में विवाह करने पर इन ग्रहों से
संबंधित दान-पूजा आदि करने से विवाह मुहूर्त शुभप्रद होता है।
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पीली पूजा का रहस्य
गुरु की यह पूजा कन्या को लगती है।
विवाह मुहूर्त शोधन में कन्याओं के लिए गुरु बल का विशेष विचार किया जाता
है। कन्या की राशि से वर्तमान राशि में गतिशील गुरु यदि दूसरे, पांचवे,
सातवें, नौंवे या ग्यारहवें स्थान पर हो तो शुभ होता है। परन्तु पहले,
तीसरे, छठे या दशवें स्थान पर गुरु पूज्य होगा। परिस्थितिवश यदि पीली पूजा
(पूज्य गुरु) में विवाह करें तो गुरु से संबंधित दान-पूजादि करने से विवाह
शुभप्रद होगा। मिथुन राशि में गतिशील गुरु के कारण वृष, सिंह, तुला, धनु और
कुंभ राशि की कन्याओं के लिए विवाह मुहूर्त्त श्रेष्ठ रहेंगे। मिथुन,
कन्या, मकर तथा मेष राशि की कन्याओं के लिए गुरु पूज्य होने के कारण गुरु
से संबंधित दान-जपादि (पीली पूजा) कराने से विवाह मुहूर्त्त शुभ होगा।
परन्तु मीन, वृश्चिक और कर्क राशि की कन्याओं के लिए मिथुन का गुरु क्रमश:
4-8-12वें स्थान में होने के कारण अशुभ है, अतः अबूझ मुहूर्त्त में इनके
विवाह करना शास्त्रसम्मत है।
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