मंत्र का अर्थ शास्त्रों में मन: तारयति इति मंत्र: के रूप
में बताया गया है यानी मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। वेदों में
शब्दों के संयोजन से ऐसी ध्वनि उत्पन्न की गई है, जिससे मानव मात्र का
मानसिक कल्याण हो। बीज मंत्र किसी भी मंत्र का वह लघु रूप है, जो मंत्र के
साथ उपयोग करने पर उत्प्रेरक का कार्य करता है। यहां हम यह भी निष्कर्ष
निकाल सकते हैं कि बीज मंत्र मंत्रों के प्राण हैं या उनकी चाबी हैं।
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मंत्रों की शक्ति का राज
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मंत्रों की शक्ति तथा इनका महत्व ज्योतिष में वर्णित सभी रत्नों
एवम उपायों से अधिक है। मंत्रों के माध्यम से ऐसे बहुत से दोष बहुत हद तक
नियंत्रित किए जा सकते हैं जो रत्नों तथा अन्य उपायों के द्वारा ठीक नहीं
किए जा सकते। ज्योतिष में रत्नों का प्रयोग किसी कुंडली में केवल शुभ असर
देने वाले ग्रहों को बल प्रदान करने के लिए किया जा सकता है तथा अशुभ असर
देने वाले ग्रहों के रत्न धारण करना वर्जित माना जाता है क्योंकि किसी ग्रह
विशेष का रत्न धारण करने से केवल उस ग्रह की ताकत बढ़ती है, उसका स्वभाव
नहीं बदलता।
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