चंद्रमा को सुधाकर, सोम, कुमुदप्रिय, कलानिधि के नाम से भी जाना जाता है। सत्व गुण प्रधान व मन का स्वामी या कारक चंद्रमा की भूमिका व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाती है। जातक के जन्म से ही उसकी जन्मकुंडली में कालपुरूष के स्थान निर्धारित हो जाते हैं। आत्मा रवि: शीतकरस्तु चेत: सूर्य आत्मा का व चंन्द्र मन का कारक कहा गया है। अक्सर देखा गया है कि ऐसे व्यक्तियों की चंचलता कभी-कभी आनन्दप्रिय, तो कभी अप्रिय लगने लगती हैं। इसका वास्तविक कारण चंद्र ही होता है। ऐसे में इनके लिए ये बेहद जरूरी होता है कि ऑफिस, परिवार, आस-पड़ोस आदि कई व्यक्तियों से थोड़ा संभल कर बात करें। इनकी बातें कभी-कभी अखर ही जाती हैं, क्योंकि ये बातों-बातों में ही बहुत कुछ खरा-खोटा कह देते हैं। चंद्र देव को रिझाने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। उन्हें अपनाने से न केवल चंद्र देव प्रसन्न होते हैं, बल्कि आपको आशीर्वाद भी देते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चंद्र की पहचान :
ज्योतिष की दृष्टि से कुण्डली में शुभ ग्रहों से युक्त चंद्र (बुध, गुरू, शुक्र), स्वयं के घर (कर्क राशि) में, उच्च (वृषभ राशि ) में व 3 अंश, आदि में जातक को चंचल प्रवृत्ति का बनाता है, लेकिन कुण्डली में विभिन्न राशियों का चन्द्र अपना प्रभाव भी भिन्न ही देता है। इतना ही नहीं, यदि आत्मा व मन के कारक सूर्य व चन्द्र दोनों ही बली (बल से युक्त) हों, तो उन्हें नेतृत्व शक्ति का कार्य भी सौंपा जाता है, चाहे जातक किसी भी क्षेत्र से अपनी पहचान रखता हो, मगर चन्द्र के शुभ प्रभावों से वह सफलता हासिल कर ही लेता है।
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