हिन्दू धर्म में शंख को निधि का प्रतीक माना गया है। कहते
हें कि इस मंगलचिह्न को घर के पूजास्थल में रखने से अरिष्टों एवं अनिष्टों
का नाश होता है और सौभाग्य घर में आता है। शंख हिंदू पूजा और परंपराओं को
वाहक है। शास्त्रों में तो यह तक कहा गया है कि जो भगवान कृष्ण को शंख में
फूल, जल और अक्षत रखकर उन्हें अर्ध्य देता है, उसको अनन्त पुण्य की
प्राप्ति होती है। शंख में जल भरकर ऊँ नमोनारायण का उच्चारण करते हुए भगवान
को स्नान कराने से पापों का नाश होता है। शास्त्रों के अनुसार कुछ खास
शंखों की पूजा करने से वारे-न्यारे हो जाते हैं और धन की कभी कोई कमी नहीं
रहती। बात करें कुछ ऐसी ही खास शंखों के बारे में-
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मोती शंख : यदि आपको घर में सुख और शांति चाहिए तो मोती
शंख स्थापित करें। सुख और शांति होगी तभी समृद्धि बढ़ेगी। मोती शंख हृदय
रोगनाशक भी माना गया है। मोती शंख को सफेद कपड़े पर विराजमान करके पूजाघर
में इसकी स्थापना करें और प्रतिदिन पूजन करें।
अनंतविजय शंख : युधिष्ठिर के शंख का नाम अनंतविजय था। अनंत विजय
अर्थात अंतहीन जीत। इस शंख के होने से हर कार्य में विजय मिलती जाती है।
प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त के लिए अनंतविजय नामक शंख मिलना दुर्लभ
है।
कामधेनु शंख : ये शंख भी प्रमुख रूप से दो प्रकार के हैं।
एक गोमुखी शंख और दूसरा कामधेनु शंख। यह शंख कामधेनु गाय के मुख जैसी
रूपाकृति का होने से इसे गोमुखी कामधेनु शंख के नाम से जाना जाता है। कहते
हैं कि कामधेनु शंख की पूजा-अर्चना करने से तर्कशक्ति प्रबल होती है और सभी
तरह की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस शंख को कल्पना पूरी करने वाला भी
कहा गया है। कलियुग में मानव की मनोकामना पूर्ति का एकमात्र साधन है। यह
शंख वैसे बहुत दुर्लभ है।
कामधेनु शंख हर तरह की मनोकामना पूर्ण करने में सक्षम है। महर्षि पुलस्त्य
ने लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस शंख का उपयोग किया था। पौराणिक शास्त्रों
में इसके प्रयोग द्वारा धन और समृद्धि स्थायी रूप से बढ़ाई जा सकती है।
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