गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देह समुद्भवान्। जन्ममृत्युजराहु: खैर्विमुक्तोकमृतमश्रुते ।। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
श्रीमद्भागवत गीता के 14वें अध्याय का यह श्लोक मानसिक अशांति एवं क्रोध को नष्ट करने का उत्तम मंत्र है। इस श्लोक का प्रतिदिन प्रात: या सांय काल उच्चारण करने से इन दोषों का निवारण होता है।
पुराणों में कहा गया है, इस मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करना चाहिए। एक 101 बार ओम
कृष्णाय नम: का जाप करें। धर्मशास्त्रीय दृष्टि से जाप के समय प्याज,
लहसुन, मदिरा व मांस का सेवन पूर्णत: वर्जित है।
तामसी
प्रवृत्ति वाले पुरुषों को यह जाप कृष्ण मंदिर या पीपल या वटवृक्ष के नीचे
करना चाहिए और गुरुवार को पीले वस्त्र व रविवार को बैगनी वस्त्र धारण करने
चाहिए।
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