शनिवार के दिन अमावस्या का पड़ना कई कारणों से काफी मायने रखता है। शनि ग्रह को सीमा ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता के अनुसार जहां पर सूर्य का प्रभाव खत्म हो जाता है, वहीं से शनि का प्रभाव शुरू होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार अब से पहले यह योग साल 2007 में बना था और अब फिर 10 साल बाद आया है। गौरतलब है कि इसके बाद 20 साल अब यह योग 2037 में बनने की सम्भावना है। सभी जातकों को बिना मौका गंवाए इस शनि अमावस्या पर बाबा भैरव के साथ ही शनि देव का पूजा-पाठ पूरे विधि-विधान से करना चाहिए। इस अवसर पर दान देने से शनि की दशा सही होने लगती है और आपकी सोई हुई किस्मत भी संवरने लगती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अमावस्या का विशेष महत्व है और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़े, तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। शनिदेव को अमावस्या अधिक प्रिय है। शनि देव की कृपा का पात्र बनने के लिए शनिश्चरी अमावस्या को सभी को विधिवत आराधना करनी चाहिए। भविष्य पुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव को अधिक प्रिय रहती है।
शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए, जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष हो या यदि कोई पितृ दोष की पीड़ा भोग रहा हो, उसे इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए।
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