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नई दिल्ली। जनगणना के प्रारम्भिक नवीनतम आंक़डों के अनुसार देश की आबादी पिछले एक दशक में 17.6 प्रतिशत बढ़कर 121 करो़ड हो गई है। लेकिन बच्चों के लिंगानुपात में आजादी के बाद सबसे अधिक कमी आई है। यह इस बात का संकेत है कि आज भी लोग बेटियों के बजाय बेटों को तरजीह देते हैं। जनसंख्या की दृष्टि से चीन अब भी दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी जनसंख्या 134 करो़ड है। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त सी. चंद्रमौली ने गुरूवार को ये आंक़डे जारी किए। आंक़डों के अनुसार जनसंख्या बढ़ी है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि दर में कमी हुई है। वर्ष 2001 के 21.5 प्रतिशत के मुकाबले पिछले एक दशक में जनसंख्या की वृद्धि दर 17.6 प्रतिशत रही। इससे पहले 1981-91 में जनसंख्या वृद्धि दर 23.87 प्रतिशत थी। आंक़डों के अनुसार छह वर्ष की आयु के बच्चाों की संख्या में कमी आई है। 2001 में यह 15 करो़ड 88 लाख थी, जिसमें 50 लाख की कमी आई है। वहीं, बाल लिंगानुपात भी घटा है। 2001 में प्रति 1000 पुरूषों पर महिलाओं की संख्या 927 थी, जो इस बार घटकर 914 हो गई है। इससे जाहिर होता है कि लोग आज भी बेटियों की बजाय बेटे को तरजीह देते हैं। ल़डकियों के लिए भी समान अधिकार का अभियान चलाने वाले इसकी एक ब़डी वजह अभिभावकों में ल़डकियों को वित्तीय बोझ और ल़डकों को आमदनी का जरिया मानने की मानसिकता बताते हैं। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी के अनुसार, ""यह अपेक्षित था, लेकिन देश के लिए सचेत हो जाने का संकेत है। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।"" चंद्रमौली ने भी इस पर चिंता जताई। जनगणना की रिपोर्ट जारी करते समय केंद्रीय गृह सचिव जी. के. पिल्लै भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि घटते बाल लिंगानुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार की नीतियों की दोबारा समीक्षा की जाएगी। वहीं, बाद में पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा, ""मैं इस मामले को सम्बद्ध राज्यों के साथ उठाऊंगी और उनसे महिला एवं बाल कल्याण की नीतियों को सही तरीके से लागू करने के लिए कहूंगी। "" रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, मिजोरम, और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में बाल लिंगानुपात में वृद्धि हुई है, जबकि अन्य राज्यों में इसमें कमी आई है। कई देशों से अधिक : जनसंख्या परिणामों के अनुसार भारत की आबादी 120 करो़ड से अधिक है जो अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान और बांग्लादेश की कुल जनंसख्या से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आबादी वाला राज्य : उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। यहां करीब 20 करो़ड की आबादी है। वहीं लक्षद्वीप में सबसे कम 64,429 लोगों की जनसंख्या है। इस मामले में महाराष्ट्र का देश में दूसरा स्थान है, जहां की जनसंख्या 11 करो़ड 20 लाख है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले तीन अन्य राज्य बिहार (10 करो़ड 30 लाख), पश्चिम बंगाल (नौ करो़ड 10 लाख) और आंध्र प्रदेश (आठ करो़ड 40 लाख) हैं। लक्षद्वीप की जनसंख्या सबसे कम : केंद्र शासित क्षेत्र लक्षद्वीप की जनसंख्या सबसे कम 64,429 है। इसके बाद दमन व दीव का स्थान आता है, जहां की जनसंख्या 2,42,911 है। कम जनसंख्या वाले तीन अन्य राज्यों में केंद्र शासित क्षेत्र दादरा एवं नागर हवेली (3,42,853), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (3,79,944) और सिक्किम (6,07,688) हैं। कैसे हुई जनगणना : वर्ष 2011 की जनगणना दो चरणों में कराई गई-पहले घरों की गणना कर घरों की सूची बनाई गई और तब जनसंख्या दर्ज की गई। जनगणना कार्य में देशभर में अनुमानत: 27 करो़ड अधिकारियों ने योगदान दिया। इस कार्य पर सरकार के 2200 करो़ड रूपये खर्च हुए। स्त्री-पुरूषों की संख्या : गुरूवार को जारी आंक़डों के मुताबिक 121 करो़ड की इस जनसंख्या में पुरूषों की संख्या 62.37 करो़ड है। पुरूषों की संख्या में 17.19 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं, महिलाओं की संख्या 18.12 फीसदी की वृद्धि के साथ 58.65 करो़ड हो गई है। साक्षरता दर में वृद्धि : देश की 15वीं जनगणना के प्रारंभिक आंक़डों के मुताबिक साक्षरता दर 9.2 फीसदी बढ़कर 74.04 फीसदी हो गई है। पुरूषों की तुलना में महिला साक्षरता दर तेजी से बढ़ी है। पुरूष साक्षरता दर 75.26 से बढ़कर 82.14 फीसदी हुई है, जबकि महिला साक्षरता दर में 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 53.67 से बढ़कर 65.46 फीसदी तक पहुंच गई है। सात साल और उससे अधिक उम्र के बच्चाों में कुल साक्षरता दर बढ़कर 74 फीसदी हो गई है।
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