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नई दिल्ली। कई बार काम के बीच में हमें सामान की जरूरत प़ड जाती है, जैसे प्रिंटर कार्टेज, पेपर, घरेलू सामान आदि। बेहतर होगा कि आप सूची बनाकर पूरे महीने का सामान एक साथ खरीद लें, ताकि आपको बार-बार भागना न प़डे। कुछ चीजों का स्टॉक यदि प़डा होगा, तो आपका हाथ नहीं रूकेगा और काम की गति बनी रहेगी। ऎसा मेरे साथ भी होता था जब मुझे जरूरी प्रिंट आउट निकालने होते थे तो पता चलता था कि इंक कार्टेज खत्म हो गई लेकिन स्टॉक रखने से कई बार नुकसान भी होता है। भारत जैसे देश में घरेलू नौकर या कर्मचारी पूरी तरह भरोसे के लायक नहीं होते। कुछ साल पहले मेरा निजी सचिव अपने कामों के लिए मेरी स्टेशनरी इस्तेमाल करता था और अपनी नई नौकरी के लिए बायोडाटा आदि बनाता रहता था। इन परेशानियों के बावजूद, उत्पादों के बढ़ते दाम भी यही कहते हैं कि हम थो़डा स्टॉक कर लें, ताकि काम के समय बाजार न भागना प़डे। इश्क का अंदाज तय करता है रिश्तों का भविष्य लाल प्याज से रूक सकती है दिल की बीमारियां योग्यता बनाए रखने के लिए कुछ चीजों का होना बहुत जरूरी है। मैं अपने पास ही कैंची और स्टेपलर रखता हूं, ताकि डाक खोलने में आसानी रहे। जब कभी भी मैंने स्टेपलर का काम करने की कोशिश की, मैंने चोट खाई है। आपके घर में भुगतान किए जाने वाले बिल भी एक साथ प़डे होने चाहिए ताकि उन्हें एक साथ दिया जा सके या नियत तिथि के हिसाब से भुगतान हो सके। काम करने के बेहतर तरीकों की कमी नहीं होती, आप जो भी तरीका अपनाएं, उससे आपकी श्रेष्ठता झलकनी चाहिए। आप अपने प्रति अच्छा और सहानुभूतिपूर्ण रवैया कैसे अपना सकते हैंक् जहां तक संभव हो सके, आशावादी बनें और निराशाावादी बातें न करें और न ही सोचें। जब भी किसी घटना पर आप शारीरिक या भावनात्मक रूप से उलझने लगें तो उससे उल्टा सोचें और उसमें सकारात्मकता का मेल कर दें। जब किसी पुरानी आदत या संबंध को बदलने की बात आए तो हमें देख लेना चाहिए कि वहां क्या गलत हैक् हमारी आशंकाएं हमें भयभीत करके हमारे दिमाग में बैठ जाती है। यदि हार गए तो क्या होगा, लोग क्या कहेंगे आदि बातेंं हमारे दिमाग में घूमने लगती हैं। न केवल हमारे विचार, बल्कि कई बार हमारे मित्र, सहकर्मी व तथाकथित शुभचिंतक भी कह देते हैं- ""आप इसे नहीं कर सकते।"" जब मैं 1960 में आईएएसई की परीक्षा में बैठा तो हर किसी ने मुझसे कहा कि मेरी क्षमता इतनी नहीं है, मैं उस परीक्षा में पास नहीं हो सकता और कुछ नहीं बन सकता। ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं किसी प्राथमिक विद्यालय का अध्यापक बन सकता हूं, लेकिन कुछ लोग ऎसे थे जिन्होंने मेरी पीठ थपथपाई और कहा कि कोशिश करने में क्या हर्ज हैक् मेरे खिलाफ जाने वालों की जमात ब़डी लंबी थी और उन सबको लग रहा था कि मैं लंबी कूद लगाने की कोशिश में मुंह के बल गिरूंगा। जो भी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ना चाहता है, उन्हें ऎसे हालात का सामना करना ही प़डता है। क्या होगा, कैसे होगा जैसे सवालों पर बार-बार सोचने की बजाय पूरी गति से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें। "क्या और कैसे" जैसे वाक्यों को भूलाकर ही आप सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। स्वयं को उपलब्धियों से मिलने वाले पुरस्कार व प्रसन्नता पर केंद्रित करें। हम सब अपने किसी न किसी सपने को सच करना चाहते हैं, लेकिन शंका राह में ही हमें ख़्ाडा कर देती है। लोग हमें मूर्ख न कहें, यही सोचकर हम किसी से इस बारे में बात तक नहीं करते। ऊंचाई तक पहुंचने का वही तरीका होता है जो पर्वतारोही पर्वत पर चढ़़ते समय अपनाते हैं। वे अपने पास महीनों का भोजन, फाव़डें, कुदालें, रस्सियां आदि पहले ही तैयार कर लेते हैं। यहां की जन अदालत में देवी-देवताओं को भी मिलती है सजा ये क्या... सुंदर बनाने के लिए मां ने बेटी को खिलाए कीडें उन्हें पता है कि पर्वत पर चढ़ते समय वे जरूरी समान लेने के लिए डिपार्टमेंटल स्टोर नहीं जा सकते। उन्हें इन सबकी योजना पहले ही बनानी प़डती है। ठीक इसी तरह हम भी छोटे-छोटे कदम उठाते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकते हैं। सफलता का रहस्य यही है कि पहले छोटे कदम भरे जाएं और फिर ऊंची छलांग लगाई जाए। एक बार यह मानसिकता अपनाने पर आप पाएंगे कि असंभव भी संभव होता जा रहा है। कलयुगी मां की करतूत! एक लाख में कर दिया बेटी के कौमार्य का सौदा बेटे की चाहत में अधेड ने 20 साल की लडकी खरीदी, फिर जागा हैवान हमारी प्रसन्नता उपलब्धियों पर ही टिकी है, यह दोनों एक-दूसरे से जु़डी हैं। अपने ऊपर व अपनी योग्यताओं पर भरोसा रखें और मान लें कि आप सबसे अच्छा पाने के दावेदार हैं, तब आपको जीवन का उद्देश्य पाने से कोई नहीं रोक सकता। (लेखक सीबीआई के पूर्व निदेशक हैं। डायमंड पॉकेट बुक्स प्रा. लि., नई दिल्ली से प्रकाशित उनकी पुस्तक "सफलता का जादू" से साभार) नौकरानी ने काटा मालिक का गुप्तांग मां ने किया नाबालिग बेटी के कौमार्य का सौदा लेकिन....... डायन बताकर महिला की हत्या, टुकडे-टुकडे कर मांस पकाया और खा गए
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