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चंडीगढ। उत्तराखंड सरकार ने इस वर्ष मई से शुरू हो रहे "चार धाम" और "हेमकुंड साहिब" यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा और पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन दिया है। पिछले वर्ष जून में आई प्राकृतिक आपदा में सैक़डों लोगों की मौत और ब़डी संख्या में लोगों के लापता होने के बाद अब पहली बार इन धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए सार्वजनिक किया जा रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, ""राज्य सरकार "चार धाम यात्रा" के दौरान सुरक्षा मानकों को अपनाते हुए आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए अनिवार्य पंजीकरण प्रणाली बना रहा है।"" रावत ने कहा, ""अनिवार्य पंजीकरण के जरिए हम श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहते हैं। राज्य में प्रवेश करने के स्थानों पर तथा धाम के रास्ते में भी पंजीकरण केंद्र स्थापित किए जाएंगे।"" पिछले वर्ष भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण बद्रीनाथ, केदारनाथ सहित राज्य के अन्य पर्यटन एवं धार्मिक स्थलों पर काफी तबाही हुई थी, जिसके कारण उन्हें श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया था। उस समय आई प्राकृतिक आपदा में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों के अलावा सिखों का धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब भी प्रभावित हुआ था। अधिकांश इलाके देश के अन्य हिस्सों से कट गए थे। रावत ने बताया कि राज्य सरकार ने पिछले महीने ही सुरक्षा एवं सुखद यात्रा के लिए जिम्मेदार सभी सरकारी विभागों को कुछ निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए पांच आधार शिविर, धाम के रास्ते में 48 सुविधा केंद्रों, सात घाटों एवं 12 रात्रि विश्रामालयों का निर्माण किया है।
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