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चेन्नई। तमिलनाडु में मतदाताओं को रिझाने के लिए द्रमुक तथा अन्नाद्रमुक धुंआधार प्रचार कर रहे हैं। यहां तक कि फिल्म कलाकारों से भी प्रचार करा रहे हैं। वहीं बिना सहयोगी के राज्य में चुनाव लड रही कांग्रेस का प्रचार एकदम फीका है। कांग्रेस के कई प्रत्याशियों के पास ठीक से चुनाव लडने क लिए धन ही नहीं हैं। तमिलनाडु में 24 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होने हैं। चुनाव में इतने कम दिन बचे होने के बावजूद कई लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के प्रत्याशी कभी कभार ही दिखे हैं। इतना ही नहीं नियमित प्रचार जैसे कि पचोंü का बंटना भी क्षेत्रों से नदारद है। मदुरै से कांग्रेस के प्रत्याशी टीएन भरत नचियप्पन ने पीटीआई से कहा, अच्छा होता अगर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रचार के लिए पर्याप्त धन आवंटित कर देता। खैर अब प्रचार की देखरेख करना भी मेरी ही जिम्मेदारी है। कुछ प्रत्याशी और चेन्नई से पूर्व लोकसभा सांसद, जिनके पुत्र प्रत्याशी हैं का कहना है कि आpर्यजनक रूप से पार्टी ने चुनाव जैसे मेहनती कार्य के लिए दी जाने वाली "मामूली" रकम भी मुहैया नहीं कराई है। एक अन्य नेता ने कहा, कुछ उम्मीदवारों के पास तो उनके साथ दिनरात काम करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को चाय-कॉफी पिलाने तक के भी पैसे नहीं हैं। जब तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बीएस गननदेसिकन से पूछा गया तो उन्होंने कहा, यद्यपि जमीनी और चुनावी माहौल कांग्रेस के पक्ष में हैं,लेकिन यह सच है कि पार्टी के प्रत्याशी धनाभाव से जूझ रहे हैं। जब यह जानने का प्रयास किया गया कि वास्तविक रूप में कितना धन प्रत्याशियों को उपलब्ध कराया गया है, तो पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता बताने को राजी नहीं हुआ। उन्होंने बस इतना ही इशारा किया कि यह निकाय के चुनावों में हुए खर्च जितना भी नहीं है।
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