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सूरत। सूरत की दो बहनों की ओर से आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीडन के मामले में सत्र अदालत ने फरार साईं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। एडिशनल सेशन जज प्रकाश शाह ने साईं की अग्रिम जमानत याचिका इस खारिज करते हुए कहा कि पीडिता के बयान और उसकी तरफ से दर्ज शिकायत से आरोपी व्यक्ति की प्रथम दृष्ट्या अपराध में संलिप्तता जाहिर होती है। अदालत ने यह भी कहा कि छानबीन के दौरान जुटाए गए सबूतों पर इस स्तर पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है। अग्रिम जमानत के लिए साईं द्वारा एफआईआर दर्ज करने में देरी के आधार को भी अदालत ने खारिज कर दिया। बता दें कि सूरत में रहने वाली दो बहनों की ओर से आसाराम और साईं पर यौन उत्पीडन के आरोपों के बाद सूरत की जहांगीरपुरा थाना पुलिस ने 6 अक्टूबर को दोनों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी। दोनों बहनों में छोटी ने साईं के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत में कहा था कि साईं ने उसका 2002 से 2005 के बीच सूरत आश्रम में लगातार यौन उत्पीडन किया। पिछले सप्ताह साईं को अदालत द्वारा भगो़डा घोषित किया गया। सूरत के जहांगीरपुरा पुलिस थाने में दो शिकायत दर्ज होने के बाद आसाराम के खिलाफ शिकायत को अहमदाबाद के चांदखेडा पुलिस थाना स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि कथित घटना उसी इलाके में हुई थी। बडी बहन ने आसाराम पर 1997 से 2006 के दौरान लगातार यौन उत्पीडन का आरोप लगाया। उस समय वह अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में आश्रम में रह रही थी। राजस्थान के अपने जोधपुर आश्रम में एक नाबालिग लडकी का यौन उत्पीडन करने के आरोप में 72-वर्षीय आसाराम को अगस्त में गिरफ्तार कर लिया गया और अभी वह जेल में हैं।
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