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सुप्रीमकोर्ट से जस्टिस कुमार को राहत, केंद्र सरकार को नोटिस जारी

published: 15-01-2014

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज द्वारा यौन उत्पीडन से पीडित पूर्व लॉ इंटर्न की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीडन के मामले में इस बात पर सहमति जताई है कि पूर्व और वर्तमान जजों के खिलाफ ऎसे मामलों की सुनवाई के लिए एक स्थायी तंत्र होना चाहिए। मगर कोर्ट ने अपने पूर्व जज स्वतंत्र कुमार के खिलाफ खिलाफ जांच कराने के मामले में उन्हें नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने सवाल किए कि शिकायतकर्ता खुद वकील है, ऎसे में ढाई साल तक इस मामले में कोई शिकायत न करना समझ से परे है। इस इंटर्न ने जस्टिस स्वतंत्र कुमार के खिलाफ यौन उत्पीडन का आरोप लगाया है।  सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन की शिकायतों का समाधान करने के लिए न्यायिक निकायों में स्थाई तंत्र की स्थापना की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने मामले में सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन और केके वेणुगोपाल को न्याय मित्र नियुक्त किया। कोर्ट ने यह साफ किया कि वह जस्टिस स्वतंत्र कुमार के खिलाफ इंटर्न की शिकायतों पर कोई विचार व्यक्त नहीं कर रहा है। मगर शीर्ष कोर्ट ने सवाल किया कि इंटर्न इतने विलंब से यह आरोप क्यों लगा रही है। इससे पूर्व, शीर्ष अदालत ने विवादास्पद तरीके से कहा था कि उसके पास पूर्व जजों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है, इसलिए वह पूर्व जजों के खिलाफ इस तरह के मामलों को सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं कर सकती। अदालत के इस रूख की कडी आलोचना हुई थी और कहा गया था कि यह जिम्मेदारी से भागने जैसा प्रयास है। इस इंटर्न ने याचिका में शीर्ष अदालत के जजों की बैठक में पांच दिसंबर, 2013 को पारित उस प्रस्ताव को चुनौती दी थी। याचिका में इस तरह के मामलों की जांच के लिए समुचित मंच गठित करने और पूर्व जज एक गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोपों के मामले की तरह ही उसकी शिकायत पर भी विचार करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में जस्टिस स्वतंत्र कुमार, सुप्रीम कोर्ट के महासचिव और केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है। इंटर्न का तर्क है कि कथित घटना के वक्त जस्टिस कुमार पीठासीन जज थे और शीर्ष अदालत को विशाखा दिशानिर्देशों के अनुरूप ही उसकी शिकायत पर गौर करना चाहिए हाल ही के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व जजों के खिलाफ इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें उन्हीं के साथ इंटर्न के तौर पर काम कर रही महिलाओं ने यौन उत्पीडन के आरोप लगाए। पिछले ही हफ्ते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मौजूदा अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज स्वतंत्र कुमार ने अपने खिलाफ उनकी एक पूर्व महिला इंटर्न द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था। पूर्व इंटर्न का आरोप था कि जज ने पिछले साल अगस्त में उसका यौन शोषण किया था और उस समय वह सुप्रीम कोर्ट के जज थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार कथित यौन उत्पीडन मामले में दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे। उनके वकील मनिंदर सिंह ने बताया कि जस्टिस कुमार ने यौन उत्पीडन मामले को प्रकाशित करने से मीडिया को रोकने के अलावा क्षतिपूर्ति की मांग की। उल्लेखनीय है कि पिछले साल के अंत में जस्टिस एके गांगुली को भी सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने अपनी तत्कालीन महिला इंटर्न के साथ गलत शाब्दिक तथा शारीरिक व्यवहार का दोषी बताया था। गांगुली ने बाद में इसी महीने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

English Summary: Need permanent system to handle sex harassment cases against judges: SC
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