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नई दिल्ली। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट की जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की पीठ गुरूवार को सुनवाई की। लेकिन गुरूवार का दिन रॉय के लिए शुभ नहीं रहा। सुप्रीमकोर्ट ने रिहा करने से इन्कार कर दिया। अब रॉय को 25 मार्च तक तिहाड में ही रहना होगा। राय ने अदालत में इस आशय की याचिका दाखिल की थी कि वह देश से बाहर नहीं जाने का एक निजी बांड भर सकते हैं और इस बांड पर उन्हें जेल से रिहा किया जाए। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की पीठ ने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी से पूछा कि क्या निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास बकाया 19,000 करोड़ रुपये जमा करने का वह कोई प्रस्ताव लाए हैं। जेठमलानी ने जब कहा कि बकाया राशि के भुगतान के एक हिस्से के तौर पर राय 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए तैयार हैं, तो अदालत ने यह पेशकश ठुकरा दी।सहारा समूह ने पहले भी इस प्रकार का प्रस्ताव रखा था और अदालत ने अस्वीकार्य बताते हुए उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। बता दें, सहारा समूह ने निवेशकों के बकाया 19,000 करोड रूपये वापस करने के मामले में रॉय की हिरासत का उल्लेख करते हुए बुधवार सुबह सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की। यह राशि सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड (एसएचआईसीएल) ने वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के जरिए निवेशकों से 2008 में जुटाई गई थी। निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए सहारा समूह की ओर से एक स्वीकार्य प्रस्ताव अदालत के सामने रखने में असफल रहने पर जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की पीठ ने चार मार्च को सुब्रत रॉय को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। सुप्रीमकोर्ट ने 20 फरवरी को रॉय और एसआईआरईसीएल तथा एसएचआईसीएल के तीन निदेशकों को 26 फरवरी की सुनवाई में अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था। तीनों निदेशक 26 फरवरी को उपस्थित हुए, लेकिन मां के स्वास्थ्य को आधार बनाते हुए रॉय उपस्थित नहीं हुए। आदेश की अवहेलना होते देखकर अदालत ने पुलिस को रॉय को गिरफ्तार कर चार मार्च को उनकी पेशी करने का आदेश दिया। चार मार्च को अदालत ने रॉय के प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें रॉय ने कहा था कि उनकी संपत्ति को बेचकर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास 19,000 करोड रूपये चुकाने के लिए धरोहर राशि के रूप में जमा कर दिया जाए। एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल ने ओएफसीडी के जरिए निवेशकों से 24 हजार करोड रूपये की राशि जुटाई थी। अदालत ने 31 अगस्त 2012 के आदेश में कंपनियों को निवेशकों के पैसे 15 फीसदी ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया था। अदालत ने आदेश दिया था कि पूरी राशि सेबी द्वारा वापस की जाएगी, इसलिए सहारा को यह राशि सेबी के पास जमा करने के लिए कहा गया था। दिसंबर 2012 में सहारा ने सेबी के पास 5,129 करोड रूपये जमा किए थे।
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