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नई दिल्&प्त8205;ली। आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल व उनके 6 मंत्री शनिवार दोपहर 12 बजे रामलीला मैदान में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। केजरीवाल का दावा है कि सरकार बनते ही मुफ्त पानी व 15 दिन में जनलोकपाल करनून बना देंगे। आप शपथ समारोह के लिए अन्ना हजारे, किरण बेदी और संतोष हेगडे को भी न्योता भेजेगी। रामलीला मैदान से ही अन्ना की अगुवाई में केजरीवाल की टीम ने जनलोकपाल आंदोलन की शुरूआत की थी। अन्ना हजारे का कहना है कि अगर उनका स्वास्थ्य ठीक रहा तो वह केजरीवाल के शपथ ग्रहण में जरूर शामिल होंगे। इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में सरकार के गठन को हरी झंडी दे दी। राष्ट्रपति ने उप-राज्यपाल की सिफारिश पर मुहर लगाकर अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण का रास्ता साफ कर दिया। केजरीवाल की पार्टी हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद दूसरी बडी पार्टी के रूप में उभरी है। 31 सीटें हासिल कर भाजपा सबसे बडी पार्टी बनी है, मगर उसके स्पष्ट बहुमत के अभाव सरकार बनाने से इनकार के बाद कांग्रेस पार्टी के बिना शर्त समर्थन दिए जाने पर सरकार बनाने का फैसला किया है। मुख्य सचिव डीएम सपोलिया के साथ बैठक के बाद केजरीवाल ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए 28 दिसंबर को तारीख की घोषणा की। दिल्ली सरकार में शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि केजरीवाल और आप के छह विधायक रामलीला मैदान में एक सार्वजनिक समारोह में दोपहर 12 बजे शपथ ग्रहण करेंगे। यह वही स्थान है जहां से दो वर्ष पहले अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का बिगुल फूंका गया था। केजरीवाल के साथ मंत्री के रूप में जो विधायक शपथ लेंगे उनमें मनीष सिसोदिया, राखी बिडला, सोमनाथ भारती, सौरभ भारद्वाज, गिरीश सोनी और सत्येंद्र जैन शामिल हैं। हरियाणा में जन्मे और उत्तर प्रदेश के दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले के कौशांबी इलाके में रहने वाले अरविंद केजरीवाल आईआईटी खडगपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। उन्होंने तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से 25 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था। पैंतालीस वर्षीय केजरीवाल ने सोमवार को दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग से भेंट कर उन्हें कांग्रेस के समर्थन से साथ दिल्ली में सरकार बनाने का दावा करने संबंधी पत्र सौंपा था। इसके बाद जंग ने आप के सरकार बनाने के दावे के बारे में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को प्रस्ताव भेजा। राष्ट्रपति से उस प्रस्ताव पर मंगलवार को मंजूरी मिली और उन्होंने नामित मुख्यमंत्री के साथ सलाह मशविरा से शपथग्रहण समारोह की तारीख को अंतिम रूप देने का काम उप राज्यपाल पर ही छोड दिया। दिल्ली की सियासत में महज एक वर्ष पुरानी आप ने 70 सदस्यी विधानसभा से जिस धमाकेदार ढंग से जगह बनाई है, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। यह आप के जलवे का ही कमाल था कि तीन साल से दिल्ली में सत्ता पर काबिज कांग्रेस को सिर्फ आठ सीटों पर समेट दिया। केजरीवाल ने पिछले वर्ष गांधी जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर को आप के गठन का ऎलान किया था और 26 नवंबर को औपचारिक रूप से पार्टी की शुरूआत की। 1949 में इसी दिन भारत ने अपने संविधान को मंजूरी दी थी। पार्टी का नाम आम आदमी से जुडाव को दर्शाता है और केजरीवाल ने इसी वर्ग को अपनी सियासत के केंद्र में रखा। केजरीवाल के सामने अपने एजेंडे को लागू करने की बडी चुनौती है। उसने सत्ता में आने के 15 दिन के भीतर जनलोकपाल कानून बनाने और स्वराज लागू करने जैसे वादे किए हैं, मगर अब उन्होंने कहा है कि दिल्ली में जनलोकपाल कानून जल्द पारित करने में अडचन आ सकती है। केजरीवाल ने कहा कि इस कानून के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है। केजरीवाल ने कहा है कि चूंकि दिल्&प्त8205;ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है ऎसे में किसी कानून को पारित करने के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए। ऎसे में इस कानून को जल्द पारित करने में दिक्कत होगी। इधर, केजरीवाल ने चुनाव से पहले जनता से किए वादों को तय समय में पूरा करने को लेकर बुधवार को जनता से रूबरू हुए। केजरीवाल ने बुधवार को कौशांबी में जनता दरबार लगाया और लोगों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने कुछ मजबूरियों को हवाला देते हुए कहा कि 15 दिनों के भीतर दिल्ली में जनलोकपाल कानून और स्वराज लागू करना मुमकिन नहीं है, क्योंकि इसमें अडचन आ सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार बनने पर वह सबसे पहले दिल्ली में पानी की समस्या हल करेंगे। केेेेजरीवाल ने कहा कि जनलोकपाल और स्वराज के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है। केजरावाल ने कहा, स्वराज और लोकपाल वाले मसलों पर दिल्ली सरकार कानून बना सकती है, यह संविधान में लिखा है। मगर पता चला है कि केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक दिल्ली की सरकार को कानून बनाने के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरी है। यह आदेश संविधान के खिलाफ है, लेकिन सरकार बनते ही मुफ्त पानी मिलेगा। जानकार केजरीवाल के इस बयान को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते दिल्ली में यह व्यवस्था पहले से ही है। दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव उमेश सहगल ने हैरानी जताई है कि केजरीवाल को इन नियमों की जानकारी पहले क्यों नहीं थी। उन्होंने कहा, केजरीवाल ने कहा है कि उन्हें अब पता चला है कि दिल्ली सरकार केंद्री की मंजूरी के बिना कोई कानून पारित नहीं कर सकती है। वे नए मसले परकानून ला सकते हैं, मगर ऎसे मसलों पर कानून लाने के लिए केंद्र की जरूरत तो पडेगी ही, जिन मसलों पर पहले ही कानून बने हैं। दिल्ली में तो पहले ही लोकायुक्त है और अब हाल में लोकपाल बिल भी संसद में पारित हो चुका है। दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा के मुताबिक, बिना केंद्र की मंजूरी के दिल्ली में लोकपाल निबल विधानसभा में पेश नहीं किया जा सकता है।
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