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नई दिल्ली/भोपाल। नए राजनीतिक घटनाक्रम के तहत आडवाणी अब गांधीनगर से चुनाव लडेंगे। दिनभर रहे असमंजस के बाद बुध की शाम केंद्रीय चुनाव समिति ने फैसला किया कि आडवाणी गांधीनगर से ही चुनाव लडेंगे। आडवाणी इस फैसले से सहमत भी हो गए बताए। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी बनारस के साथ वड़ोदरा से चुनाव लड़ेंगे। बुधवार शाम बीजेपी ने आडवाणी की उम्मीदवारी का ऎलान किया। इस घोषणा के साथ ही आडवाणी के भोपाल से चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर विराम लग गया है। बुधवार शाम बीजेपी ने 67 उम्मीदवारों के नाम का ऎलान किया। बता दें, आडवाणी गांधीनगर से सांसद हैं और इससे पूर्व के घटनाक्रम के अनुसार एक बार फिर गुजरात भाजपा ने आडवाणी को गांधीनगर से चुनाव लडाने की सिफारिश की। दूसरी तरफ गांधीनगर की स्थानीय इकाई ने मोदी को गांधीनगर और अहमदाबाद ईस्ट से आडवाणी को उम्मीदवार बनाने की मांग की है। इससे लगा कि आडवाणी और मोदी का आंतरिक झगडा एक बार फिर धरातल पर आ गया। आडवाणी के भोपाल से चुनाव लडने की संभावना को उस वक्त बल मिला जब मध्यप्रदेश भाजपा ने भोपाल में उनके समर्थन में होर्डिग और पोस्टर चिपका दिए। रातों रात लगे इन पोस्टर्स से साफ नजर आता है कि न सिर्फ पार्टी बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी उन्हें भोपाल सीट से मैदान में उतारने के पक्ष में हैं। सूत्रों के अनुसार समझा जाता है कि आडवाणी ने पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह से कहा है कि चूंकि आज पार्टी के अधिकतर वरिष्ठ नेता अपनी इच्छा के अनुसार अपने लिए लोकसभा सीट का निर्णय कर रहे हैं तो उन्हें भी अपनी पसंद की सीट चुनने की अनुमति होनी चाहिए। आडवाणी ने हालांकि साथ ही कहा कि उन्हें अपनी वर्तमान सीट गांधीनगर से चुनाव लड़ने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन उनकी इच्छा है कि वह भोपाल से लड़ें, जिसे अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जा रहा है। पार्टी के यह वरिष्ठ नेता आज हुई भाजपा की शीर्ष निर्णय करने वाली इकाई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में भी शामिल नहीं हुए जिसमें पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी सहित अन्य सभी सदस्य उपस्थित हुए। बैठक में इस विषय पर चर्चा भी हुई। आडवाणी पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह गांधीनगर से ही चुनाव लड़ें, क्योंकि ऐसा नहीं होने के गलत संकेत जाएंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री को पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से आडवाणी के मोदी से पहले जैसे संबंध नहीं रह गए हैं। सूत्रों ने बताया कि आडवाणी को अगर भोपाल से टिकट देने की उनकी इच्छा को स्वीकार कल लिया जाता है तो मोदी के विश्वासपात्र अमित शाह को गांधीनगर से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद शुरू हुई पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी आडवाणी देर दोपहर तक नहीं पहुंचे। इस बैठक में उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीटों के उम्मीदवारों पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि आडवाणी इसलिए इस बैठक में उपस्थित नहीं हुए क्यों कि उनके मुद्दे पर चर्चा होनी थी। ऐसे में उनका वहां मौजूद रहना उचित नहीं होता। भोपाल लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी ने आज कहा कि वह इस बार वहां से लड़ने के इच्छुक नहीं हैं और उन्होंने यह सीट आडवाणी को देने की पेशकश की। लेकिन रात को खबर आई कि भाजपा में सब ठीक नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने पहुंचे। संघ प्रमुख मोहन भागवत दिल्ली में ही मौजूद है। भागवत के साथ मोदी की ये मुलाकात बहुत अहम है क्योंकि आडवाणी चुनाव समिति की बैठक में पहुंचे नहीं थे और भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। वहीं, बुधवार को हुई बैठक के दौरान भाजपा नेताओं ने कहा था कि आडवाणी गांधीनगर से चुनाव लड़ने को तैयार हो गए हैं। हालांकि इससे पहले उनके नाराज होने की खबरें आ रही थी। शिवराज से आडवाणी की नजदीकी जगजाहिर है और मोदी से अनबन भी। ऎसे में आडवाणी को गांधीनगर से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मोदी की भागवत से मुलाकात के मायने बढ़ गए हैं।
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