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हार मंजूर, पर धर्म के नाम पर वोट मांगना नहीं मंजूर: मोदी

published: 19-04-2014

नई दिल्ली। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सांप्रदायिकता की राजनीति को सिरे से खारिज किया है। टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि वह चुनाव में पराजय स्वीकार करने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें धर्म की राजनीति मंजूर नहीं है। मोदी ने कहा कि वह सांप्रदायिकता की राजनीति करने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा, "मैं चुनाव हार जाऊं या पूरी तरह से खत्म हो जाऊं, मुझे मंजूर है, मगर यह बांटने की राजनीति मैं नहीं करने वाला। मुस्लिम तुष्टीकरण न किया और न करूंगा। सवा करोड देशवासियों के लिए काम करूंगा, न कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के लिए। उन्होंने कहा कि पीएम और सीएम की एक टीम बने, जो पूरे देश के लिए संयुक्त रूप से काम करे और टीम इंडिया कहलाए। भाजपा के पीएम उम्मीदवार ने कहा, सोनिया गांधी मुस्लिम, सिख, ईसाई, जिससे चाहें मिलें, इसमें कोई दोष नहीं है, यह तो लोकतंत्र का भाग है, लेकिन किसी धर्मगुरू से मिलकर धर्म के आधार पर वोट मांगना चिंता का विषय है। यह संविधान के भी खिलाफ है। राजनाथ सिंह भी मिले, लेकिन उन्होंने धार्मिक आधार पर वोट नहीं मांगा। मैं भी हार जाना पसंद करूंगा, लेकिन धर्म के आधार पर वोट की अपील नहीं करूंगा। मेरी अपील देश की समस्त जनता से है। उन्होंने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने को लेकर अपनी रणनीति साझा की। उन्होंने कहा, भ्रष्टाचार के मामले में मैं पुरानी गंदगी साफ करने से ज्यादा प्राथमिकता नई गंदगी पैदा न हो, ऎसी व्यवस्था बनाने पर दूंगा। अगर पुरानी गंदगी में ही उलझा रहा तो यह अंतहीन है। उन्होंने राजनीति के अपराधीकरण से निपटने के बारे में कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से एक ऎसा तंत्र बनाने का अग्रह करेगी, जिसमें सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित केसों पर तेजी से सुनवाई हो सके, ताकि उन पर तलवार न लटकी रहे। अगर वे निर्दोष हों तो निश्चिंत रहें और दोषी हों तो जेल जाएं। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने जोर दिया कि वह किसी समुदाय से वोट के लिए विशेष अपील नहीं करेंगे, क्योंकि वह देश के 125 करोड लोगों की एकजुटता में विश्वास करते हैं और वह चुनाव से पहले की ऎसी राजनीतिक गतिविधियों को परास्त करने में गुरेज नहीं करेंगे। मोदी ने कहा कि हमें यह निर्णय करना है कि मुझे अपनी ऊर्जा नए भ्रष्टाचार को रोकने में लगानी चाहिए या पुरानी गंदगी को साफ करने में संय बर्बाद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं ऎसा तंत्र तैयार करूं जो प्रौद्योगिकी पर आधारित हो और उसमेंं पारदर्शिता और सभी निरोधात्मक उपाए हों, तब हम संयुक्त रूप से भ्रष्टाचार के मुद्द से निपट सकेंगे। यह राजनीतिक नहीं होना चाहिए, अन्यथा इसका मकसद विफल हो जाएगा और यह रोग बढता ही जाएगा। यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री के तौर पर उनके खिलाफ अगर कोई भ्रष्टाचार के आरोप लगे तब वह कैसे निपटेंगे, मोदी ने कहा कि प्रोफेशनली अगर मेरे खिलाफ कोई आरोप लगते हैं, तब ऎसे मामलों (की जांच) को रूकना नहीं चाहिए बल्कि इसे जारी रहना चाहिए, मोदी को उसे नहीं रोकना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या वाराणसी में मुसलमानों से अपील करेंगे, जहां से वह चुनाव लड रहे हैं, इस पर मोदी बोले, मैं हिंदुओं या मुसलमानों से कोई अपील नहीं करूंगा, लेकिन भारत की 125 जनता से करूंगा। अगर उन्हें लगता है कि यह सही है, तो अच्छा है, लेकिन उन्हें उपयुक्त नहीं लगता है तब मैं चुनाव में पराजय का सामना करने को तैयार हूं। मैं पूरी तरह से सफाए के लिए भी तैयार हूं। मोदी ने कहा कि मेरा मंत्रा है, सब लोग समान हैं। मैं धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश के भाइयों में विभाजन स्वीकार नहीं कर सकता। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश को बांट दिया गया है। मोदी ने साफ किया कि अगर उनकी सरकार बनी तो बदले की भावना से नहीं काम करेगी। उन्होंने कहा कि अगर पीएम के रूप में उन पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, तो वह उसकी निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं। मोदी ने राजनीति के अपराधीकरण पर भी चिंता जताते हुए कि यह गंभीर चिंता का विषय है और कमोबेश सभी पार्टियों का इससे सामना होता है। मोदी ने बीजेपी के कामकाज में संघ के दखल से इनकार किया। उन्होंने कहा कि संघ की ओर से चुनाव से जुडे निर्देश नहीं आते हैं। आरएसएस को देश का सबसे बडा गैर सरकारी सांस्कृतिक संगठन बताते हुए उन्होंने कहा, जब-जब कांग्रेस के बुरे दिन आते हैं, तब-तब वह आरएसएस को निशाना बनाने लगती है। आरएसएस एक गैर राजनीतिक संगठन है, जिसका देश की सेवा में अमूल्य योगदान है। समाज सेवा के क्षेत्र में हजारों स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि खुद उनके जीवन में आरएसएस के कारण स्वभाव, संस्कार और अनुशासन आया है। मोदी ने कहा कि हम राजनीति में हैं इसलिए हमें मीडिया का "टेररिज्म" भुगतना पडता है। कोर्ट की अवमानना पर तो कानूनी तौर पर सजा देती है लेकिन मीडिया के बारे में कुछ भी बोल दो तो बवाल मच जाता है।

English Summary: Defeat in election accepts instead of asking for vote at the name of religion: Modi
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