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रायपुर। छत्तीसगढ में आज भी कुछ ग्रामीण गोबर गैस का उपयोग कर रहे हैं। सूबे में गोबर गैस ऊर्जा इन ग्रामीणों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है। इस गैस से इन ग्रामीणों के घर सिर्फ खाना ही नहीं बनता, बल्कि रात में रोशनी की भी व्यवस्था हो जाती है। गरियाबंद जिले के रावणभाठा के कृषक चमन लाल साहू गोबर गैस का सुचारू रूप से उपयोग पिछले 20 वर्षो से भी अधिक समय से कर रहे हैं। चमन साहू ने गोबर गैस की उपयोगिता के संदर्भ में बताया कि यदि कृषक और शासन इस ओर गंभीरता से ध्यान दें तो गोबर गैस ऊर्जा के श्रोत का महत्वपूर्ण साधन साबित हो सकता है। चमन ने बताया कि गोबर गैस में मात्र दो टुक़डा गोबर डालने से आठ से 10 लोगों का दिनभर का खाना बनाया जा सकता है। साथ ही रात में तीन-चार घंटे के लिए एक लैंप भी जलाया जा सकता है। गोबर संयंत्र में गोबर स़डने के बाद यह खाद के रूप में काम आता है, जिसका उपयोग कर किसान उत्तम जैविक खाद का निर्माण स्वयं कर सकता है। यह खाद अन्य रासायनिक खाद से अधिक प्रभावशाली एवं स्वास्थ्यवर्धक होता है। इसी तरह डॉगनबाय में शासन की योजना के तहत साधूराम नेताम के यहां भी विगत दो वर्षो से गोबर गैस का लाभ लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि घर में आठ पशु हैं, जिनके गोबर से घर के सभी सदस्यों के लिए लगभग दो दिन का भोजन तैयार करने लायक गैस ऊर्जा प्राप्त हो जाती है। इसी तरह लेखराम, सीताराम, भारत, संतराम के यहां भी सुचारू रूप से गोबर गैस का लाभ लिया जा रहा है। कार्तिक राम ध्रुव, सरपंच लखन साहू, नेहरू साहू, शंभु आदि किसानों ने गोबर गैस योजना को लाभप्रद बताया।
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