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क्यों अशुभ है मूर्ति का खंडित होना...

published: 28-07-2013

अगर गणेश मूर्ति का कोई अवयव खंडित हो जाए तो उस घरवाले घबरा उठते हैं। लेकिन चिंता नहीं करें। विसर्जन की अक्षत डालने के बाद उस मूर्ति में निहित देवत्व चला जाता है। यदि अब उस मूर्ति का कोई अवयव टूट जाए तो उसका विचार न करें। यदि प्राण-प्रतिष्ठा से पहले कोई अवयव खंडित हो जाए तो दूसरी मूर्ति लाकर उसकी पूजा करें। यदि विसर्जन की अक्षत डालने के बाद अवयव खंडित हो तो उस मूर्ति का हमेशा की तरह अक्षत डालकर विसर्जन करें। प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद और विसर्जन के पहले कोई अवयव टूट जाने पर भी उस मूर्ति पर अक्षत डालकर विसर्जन करना चाहिए। यदि यह घटना गणेश चतुर्थी के ही दिन हो तो दूसरी मूर्ति लाकर उसका पूजन करें। परंतु दूसरे-तीसरे दिन &प्त2318;सा होने पर नई मूर्ति लाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि मूर्ति पूर्ण रूप से भग्न हो जाए तो अपने कुलपुरोहित की सलाह के अनुसार यथावकाश अjुत दर्शन शांति विधि करवा लें। इसके अलावा किसी अन्य स्थिति में भी धीरज खोकर विचलित नहीं होना चाहिए। इससे इच्छाशक्ति का नाश होकर मानसिक दुर्बलता उत्पन्न होती है। यह ध्यान रखें कि शुद्ध मृत्तिका का पार्थिव गणेश एक हथेली से कम ऊंचा हो। आजकल प्लास्टर आफ पेरिस, शाडू और अन्य पदार्थो से बडे-बडे आकार की गणेश मूर्तियां बनाकर रंगी जा रही हैं। ये रंग मानव के लिए हानिकारक हो सकते हैं। &प्त2318;सी मूर्तियों का विसर्जन बावडी या तालाब में करने से उसका पानी दूषित हो जाता है। इसलिए गणेश मूर्ति का विसर्जन बहते पानी में ही करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर के बगीचे या खेत में विसर्जन किया जाए। वास्तव में गणेश चतुर्थी का ही नहीं, किसी भी अन्य व्रताचरण का समय नहीं बदला जा सकता। कुछ अपरिहार्य कारणों से नवरात्र महोत्सव के लिए समयावधि में शास्त्र ने कुछ सहूलियतें दी हैं। परंतु गणेश विसर्जन आगे बढाने या उसमें विलंब करने के विषय में शास्त्र का कोई निर्देश नहीं है।  यदि घर में परंपरा के अनुसार गणेशोत्सव 5, 6 या 10 दिनों का हो तो भी अपनी इच्छा एवं सुविधानुसार समय एक, दो या डेढ दिन करना भी शास्त्र विहित है। गर्भिणी प्रसूत होने तक गणपति की मूर्ति का कोई उपचार न करते हुए उसे उपेक्षित करना शास्त्र विरूद्ध एवं अज्ञानमूलक है। इसलिए घर में गर्भिणी के होते हुए भी सभी व्रत हमेशा की तरह समय से होने चाहिएं। परंतु सातवां महीना पूरा होने के बाद इस कार्य में गर्भिणी के लिए सçRय हिस्सा लेना धर्म शास्त्र की दृष्टि से वर्जित है।

English Summary: Why is unlucky to be fractured statue
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