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जहां लौट आती थीं आत्माएं

published: 03-11-2012

अफ्रीका महाद्वीप के उत्तरी प्रदेश मिस्त्र में प्राचीन काल में मृतक शरीरों पर चिह्न लगाकर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखकर उनके ऊपर समाधियां बना देते थे। वहां के रहने वालों का विश्वास था कि इन समाधियों में से आत्माएं फिर लौट आती हैं। इन समाधियों में सबसे अधिक सुरक्षित और प्रसिद्ध स्थान पिरामिड थे। ये पिरामिड बादशाहों के मृतक शरीरों को गाडने के लिए बनाए जाते थे। इन पिरामिडों में सबसे बडा गिजा का पिरामिड है। इसे आज से पांच हजार से अधिक वर्ष पहले नील नदी के मरूस्थल में बहुत-से दासों ने बनाया था। क्षेत्रफल में यह साढे बारह एकड और ऊंचाई में 451 फुट है। आज भी इसमें इतने पत्थर लगे हैं कि उनसे एक बडा नगर बन सकता है। इस विशाल भवन का नक्शा इतना सही था कि आज भी इसके आधार पर चारों भुजाओं की लंबाई में दो अंगुल से अधिक का अंतर नहीं है। इन पिरामिडों के भीतरी भाग में ऎसे अनेक बरामदे हुए हैं, जिनमें होकर उन स्थानों में जाते हैं, जहां मिश्र के प्राचीन बादशाह और बेगमें अनंत निद्रा में सोए हुए हैं। इन विशाल पिरामिडों को बहुत-से दासों ने खून-पसीना एक करके वर्षो में बनाया था। इनके लिए नील नदी के किनारे से पत्थर लाए गए थे। नील नदी यहां से नौ मील की दूरी पर है। अकेला गिजा का पिरामिड बीस वर्ष में बन पाया था। मिस्त्र के पिरामिड संसार की सात आश्चर्यजनक वस्तुओं में से है। आज भी ये सारे संसार में प्रसिद्ध हैं और दुनिया के कोने-कोने से लोग उन्हें देखने के लिए बडी उत्सुकता से आते हैं। इन पिरामिडों का कला कौशल वास्तव में निराला है।

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