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नुस्खे चट-पट ब्याह के

published: 18-08-2013

सही उम्र में विवाह यदि हो जाए तो तन-मन सम्बंधी कई परेशानियां स्वयं समाप्त हो जाती हैं। लेकिन &प्त2318;सा हो नहीं पाता। कई की बात ही शुरू नहीं होती, जबकि कई की बात बनते-बनते बिगड जाती है। &प्त2318;से में ग्रह चाल और प्रारब्ध को ही कारण माना जाता है। ग्रहों की शांति एवं अनुकूलन के लिए ज्योतिष शास्त्र में मंत्र-जप, देवपूजन आदि शुभकर्मो के साथ ही सरल उपाय करने का भी विधान है। यदि किसी युवक या युवती का विवाह नहीं हो पा रहा है, हर बार विवाह की बात चलने पर कोई न कोई बाधा उपस्थित हो जाती है अथवा अधिक आयु हो जाने पर भी किसी लडकी का विवाह न हो पा रहा है, माता-पिता या भाई निराश हो गए है, तो निम्नलिखित उपाय विवाह सम्बम्धी समस्या का निवारण करेंगे।  जिस कन्या का विवाह न हो पा रहा हों, वह भगवती पार्वती के चित्र या मूर्ति के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर प्रतिदिन निम्न मंत्र का 11 माला जाप 10 दिनों तक करें- हे गौरि शंकरार्द्धागि यथा शंकरप्रिया। तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।। यदि प्रेमी-प्रेमिका आपस में विवाह करना चाहते हैं, तो दोनों या दोनों में से कोई भी एक निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं। जो जाप कर रहा हो, अपने प्रेमी या प्रेमिका का चित्र लगाकर उसके सम्मुख दीप जलाकर एक लाख मंत्र का जाप करे- ओम् हां गं जूं स: (नाम) में वश्य वश्य स्वाहा। जिन लडकों का विवाह नहीं होता है, उन्हें निम्नलिखित मंत्र का नित्य 11 माला जप करना चाहिए- ओम् क्लीं पत्नी मनोरम देहि मनोवृत्तानुसारिणीम। तारणी दुर्ग संसार सागरह्यय कुलाjवाम। क्लीं ओम् जिन कन्याओं का विवाह नहीं होता, उन्हें किसी शुभकाल में बुधवार के दिन एक छोटी थाली में स्वस्तिक बनाकर मिट्टी के श्रीगणेश की स्थापना करनी चाहिए। फिर पूजा करके दूर्वा के 108 पत्ते पूरे गिनकर, "ओम् गणपतये नम:" मंत्र का जप करते हुए एक-एक पत्ता चढाना चाहिए। लड्डुओं का भोग लगाकर बच्चों को बांटना चाहिए। इस तरह 21 बुधवार का व्रत और पूजा करने से उस कन्या का विवाह निश्चित ही होगा। कन्या उपर्युक्त मंत्र का 21 माला जप नित्य करे। यदि कन्या स्वयं इस पूजा को न कर सके, तो उसके माता-पिता इस çRया को करें। विकराल कालसर्प योग वाली कन्याएं और कू्रर मंगली कन्याएं, जिनका विवाह 30 से 49 वर्ष की आयु हो जाने पर भी नहीं होता, वो निम्नलिखित चौपाई का पाठ करें। निश्चितरूपेण विवाह हो जाएगा- तब जनक पाई वसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारिके। मांडली श्रूत कीरिति उरमिला कुंअरि लाई हंकारिकै।।  विवाह योग्य लडके और लडकियां प्रत्येक गुरूवार को स्त्रान के जल में एक चुटकी पिसी हल्दी डालकर स्त्रान करें। गुरूवार के दिन आटे के दो पेडों पर थोडी-सी हल्दी लगाकर, थोडी गुड और चने की दाल गाय को खिलाएं। इससे विवाह का योग शीघ्र बनता है। शीघ्र विवाह के लिए शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार की संख्या में पांच तरह की मिठाई के साथ छोटी इलायची का एक जोडा व शुद्धि घी का एक दीपक जलाकर जल में प्रवाहित करें। बृहस्पतिवार को केले के वृक्ष के समक्ष गुरूदेव बृहस्पति के 108 नामों के उच्चारण के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाकर, जल अर्पित करें। इसे युवक व युवती कोई भी कर सकता है। यदि किसी कन्या की कुंडली में मंगली योग होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा है तो वह मंगलवार को "मंगल चंडिका स्तोत्र" का तथा शनिवार को "सुंदरकांड" का पाठ करें। आयु होने पर भी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो तो शुRवार की रात्रि में आठ सूखे छुहारे जल में अच्छी तरह उबालकर जल सहित ही अपने सिरहाने रखकर सोएं तथा शनिवार को प्रात: स्त्रानादि के पpात् चलते जल में प्रवाहित करे। किसी भी शुक्लपक्ष की प्रथमा तिथि को प्रात:काल स्त्रानादि से निवृत्त होकर राम-सीता के संयुक्त चित्र का षोडशोपचार पूजन कर अग्रलिखित चौपाई का 108 जाप करे। यह उपाय 40 दिन किया जाता है। कन्या को उसके अस्वस्थ दिनों की छूट है। जब तक वह पुन: शुद्ध न हो जाए, तब तक यह प्रयोग न करें। अशुद्ध तथा शुद्ध होने के बाद के दिनों को मिलाकर ही दिनों की गिनती करनी चाहिए। कुल 40 दिनों में कहीं न कहीं रिश्ता अवश्य हो जाएगा। चौपाई इस प्रकार है- सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पुरहि मनकायमा तुम्हारी।। विवाह के निमित्त कन्या शुक्लपक्ष के प्रथम सोमवार को भगवान शंकर का व्रत रखे और श्वेतार्क के वृक्ष के समीप धूप-दीप कर जल अर्पित करे और हाथ धोकर आठ पत्ते तोडकर लाए। सात पत्तों पर पत्तल बनाए और आठवें पत्ते पर अपना नाम लिखकर भगवान शंकर को अर्पित करे। जब तक वैवाहिक संबंध न बन जाए, प्रत्येक सोमवार को यह çRया करे। विवाह के अवसर पर जब किसी कन्या की मेहदी की रस्म हो रही हो, यदि अविवाहित कन्या उसके हाथों से मेहंदी लगवा ले, तो उसका भी विवाह शीघ्र ही हो जाता है। कन्या के रिश्ते की बात करने जब उसके पिता या भाई आदि जाने वाले हों तो कन्या लाल वस्त्र धारण कर एवं खुले बाल रखकर उन्हें अपने हाथों कोई मिठाई खिलाकर विदा करे। इससे उसका रिश्ता अवश्य ही तय हो जाएगा। मंगली होने के कारण यदि कन्या का विवाह न हो पा रहा है, तो वह प्रत्येक मंगलवार को मूंगे की माला से निम्नलिखित मंत्र का 11 माला जाप करे- ओम् ह्नीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवि मंगल चण्डिके हूं फट् स्वाहा।। पूर्णिमा का वटवृक्ष की 108 परिRमा करने वाली कन्या का विवाह शीघ्र होता है। गुरूवार को केले, पीपल अथवा वट वृक्ष में जल अर्पित करने से भी विवाह का योग बन जाता है। यदि किसी लडके या लडकी के विवाह में किसी प्रकार की बाधा आ रही है, तो दीपावली को किसी भी श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में जाकर श्री हरि विष्णु को कलगी और भगवती लक्ष्मी को सिंदूर के साथ बेसन के तीन लड्डू अर्पित करे। इससे विवाह में आने वाली बाधाएं नष्ट हो जाती है। जिस लडके का विवाह न हो तो वह एक पीले रेशमी रूमाल के तीन कोनों पर एक-एक हल्दी की गांठ बांधकर अपने साथ रखें। विवाह में बाधा आने वाला लडका दीपावली को श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में जाकर पूजन करे और पीले रंग के गोटे के किनारे वाली चुनरी पर लाल गोटे से "श्री लक्ष्मीनारायण नमो नम:" लिखकर अर्पित करें। जिस युवक का विवाह न हो पा रहा हो वह 21 मंगलवार को संध्या समय किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर उनके माथे से थोडा-सा सिंदूर लेकर उसी मंदिर में राम-सीता की पूर्ति के चरणों में लगा दे और शीघ्र विवाह हेतु उनसे निवेदन करे। विवाह शीघ्र हो जाएगा। अविवाहित कन्या का विवाह शीघ्र होने के लिए देवोत्थान एकादशी को कच और देवयानी की मिट्टी की मूर्तियां बनाएं। उन मूर्तियों पर हल्दी, चावल एवं आटे का घोल लगाकर, पूजा करके लकडी के एक पटरे के नीचे रख दें। उस पटरे पर कन्या के बैठने से विवाह का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। गुरूवार को कुम्हार का चाक घुमाने वाला डंडा अविवाहित युवक घर उठा लाए। उसी दिन उसे लीप-पोतकर लहंगा-चुनरी पहनाकर तथा सिंदूर-महावर आदि लगाकर दुल्हन के रूप में एक कोने में खडा करके गुड-चावल से पूजे। इस प्रकार 7 बार 7 डंडे चुराकर पूजन करे। कुम्हार जितनी अधिक गालियां निकालेगा, युवक का विवाह उतनी ही जल्दी होगा। किसी पात्र में स्फटिक का शिवलिंग स्थापित कर सोमवार से पूजा प्रारंभ करें और पास में लघु नारियल पर कलावा चढाकर, उसे गौरी मानकर स्फटिक शिवलिंग के बाई ओर स्थापित कर दें। फिर विधि-विधान से उसकी पूजा करें। सामने शुद्ध घी का दीपक लाएं मंत्र का जप प्रारंभ करें- ओम् गौरीपति महादेवाय मन इच्दित वर शीघ्रतिशीघ्र प्राप्त्यर्थ गौर्ये नम:। उपर्युक्त मंत्र का सवा लाख जप करके 11 कन्याओं को भोजन करा दें तथा उस शिवलिंग तथा गौरी को पूजा-स्थान में स्थापित कर दें। इससे अविवाहित कन्या का शीघ्र विवाह हो जाता है और वह अखंड सौभाग्यवती बनी रहती है। जो कन्या पार्वती देवी की पूजा करके उनके सामने प्रतिदिन निम्नलिखित मंत्र का एक माला जप करती है, उसका विवाह शीघ्र हो जाता है- कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवं पतिं मे कुरू ते नम:।। प्रतिदिन निम्नलिखित मंत्र का जप करने से पहले तुलसी वृक्ष की पूजा करके 12 परिRमा लगाए। परिRमा पूरी होने पर कन्या अपने दाएं हाथ से दूध और बाएं हाथ से जल द्वारा श्री सूर्यनारायण को 12 बार मंत्र को बोलते हुए अƒर्य दे। तत्पpात् तुलसी की माला से 108 बार मंत्र का जप करे तो उसका विवाह शीघ्र होगा- ओम् देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनी। विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि में।। जिस कन्या का विवाह अशुभ ग्रहों के कारण अथवा आर्थिक संकट से नहीं हो पा रहा है, उसे चाहिए कि भगवान शंकर और पार्वती का चित्र सामने लगाकर उसका नित्य पूजन करे। धूपबत्ती जलाए और जप के स्थान पर एक गमले में अथवा टीन के कनस्तर में केले के पौधे को लगाकर अथवा उसके स्तंभ को रोपकर उस पर 11 बार कलावा लपेट दे और उसकी पूजा करे। तदनंतर निम्नलिखित मंत्र का तीन बार माला जप करे। जप पूर्ण हो जाने पर केले के स्तंभ की 12 बार प्रदक्षिणा करें। &प्त2318;सा करने से अवश्य ही शीघ्र वर की प्राçप्त होती है- ओम् शं शंकराय सकलजन्मार्जित पापविध्वंसनाय पुरूषार्थचतुष्टयलाभाय च पति में देहि कुरू कुरू स्वाहा। प्रात: काल बिना कुछ खाए-पिए स्त्रान एवं देवपूजा करके तथा पूर्व दिशा की ओर मुख करके, सूर्यनारायण के सामने खडे होकर चंदन, पुष्प, अक्षत मिला अƒर्य निम्नलिखित मंत्र को बोलते हुए चार बार दे। इसके बाद धूप, दीप, गुड का नैवेद्य लगाकर यथासंभव बायां पैर ऊपर उठाकर 108 बार निम्नलिखित मंत्र का जप करे और बोले, हे सूर्यनारायण! मुझे मनवांछित पति की प्राçप्त कराओ, यह çRया एक मास तक करनी चाहिए। महीने के दिनों को निकालकर आगे के दिनों में बढाकर एक मास पूरा करे। रविवार के दिन केवल दूध, चावल और चीनी का सेवन करे। मंत्र यह है- ओम् ह्नीं ह्नीं सहस्त्रकिरणाय मम वांछित देहि देहि स्वाहा। निम्नलिखित मंत्र का सवा लाख जप करने से उत्तम वर की प्राçप्त होती है- ओम् ह्नीं कुमाराय नम: स्वाहा। सुयोग्य कन्या की प्राçप्त के लिए लाल चंदन एवं लाल पुष्प से गंधर्व की मूर्ति बनाकर पूजा करे और अग्रलिखित मंत्र का 10 हजार बार जप करके गुग्गल, बिल्वपत्र और घृत, चावल की खीर, घृत का दशांश हवन, तर्पण, मार्जन एवं ब्राrाण को भोजनादि कराए- ओम् क्लीं विश्वावसुनामगंधवे:ü कन्यानामधिपति: लभामि देवदत्तां कन्यां सुरूपा सालंकारां तस्मै विश्ववावसविे भजे।। प्रात: स्त्रानादि से निवृत्त होकर प्रतिदिन 108 बार 45 दिनों तक निम्नलिखित मंत्र का जाप करने से लडके या कन्या का विवाह-संबंध हो जाता है। पहले किसी इष्टदेवी का चित्र लगा लें। फिर चित्र पर पुष्प चढाएं तथा दीप या अगरबत्ती भी मंत्र जाप की अवधि में जलाए रखें- स देवि नित्यं परितप्यमान व्यामेव सीतेत्यभि भाषमाण:। दृझव्रतो राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृत प्रयत्न:।। जिस कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है, वह दीपावली की अर्द्धरात्रि में लाल वस्त्र धारण कर भोजपत्र पर केशर व हल्दी में गंगाजल मिलाकर स्याही तैयार करे और चांदी की लेखनी से भोजपत्र पर मंत्र लिखे। फिर मां दुर्गा के चित्र के समक्ष पीले वस्त्र पर यंत्र को स्थापित करके मां दुर्गा से अपने विवाह में आने वाली बाधा दूर करने का निवेदन कर श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करे। तदनंतर 11 बार श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करे। फिर स्फटिक की माला से 21 माला ओम् ह्नीं दुं दुर्गायै नम: का जाप करे। इसके पpात् यंत्र को मां के चरणों से स्पर्श कराकर, धूप-दीप देकर चांदी के कवच में भरकर गले में या बाजू में धारण कर ले। जब विवाह की घडी आ आए और समय विदाई का हो तो माता या पिता उस कवच को जल में प्रवाहित कर आएं। यदि पितरों की प्रसन्नता के कारण युवक या कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो तो प्रत्येक अमावस्या को अंधेरा होने पर बबूल के वृक्ष पर भोजन रखकर आएं। सभी प्रकार की बाधा पितरों के प्रसन्न होने पर समाप्त हो जाएगी। यदि किसी के विवाह में कोई बाधा आ रही हो, यह लडका हो या लडकी महीने के पहले बृहस्पतिवार को तीन अभिमंत्रित कौडियों को हल्दी से रंग कर पीपल की एक थाली में रखे। स्वयं पीले वस्त्र धारण करें। केशर को गंगाजल में मिलाकर कौडियों पर तिलक करे और हल्दी की माला से तीन माला जप ओम् गुरूदेवाय नम: मंत्र का करे। तत्पpात् कौडियों को पीले वस्त्र में बांधकर किसी स्वच्छ स्थान पर रख दे।  जब विवाह संपन्न हो जाए, तो उसे गंगा आदि में प्रवाहित कर दे। यदि किन्हीं अदृ्रश्य कारणों से किसी कन्या के विवाह का संयोग न बन पा रहा हो, अथवा जब भी विवाह की बात चलाई जाए, तो कोई न कोई बाधा सामने आ जाती है। आर्थिक संकट के कारण या अशुभ ग्रहों के कारण भी विवाह-संबंध में विƒन आ जाता है, तब यह यंत्र वैवाहिक समस्याओं के समाधान के लिए बहुत ही प्रभावशाली सिद्ध होता है- ओम शंकराय सकल जन्मर्जित पापविध्वंसनाय पुरूषार्थ चतुष्टयलाभाय च पतिं मेंदेहि देहि कुरू कुरू स्वाहा। यंत्र रचना संRाति के दिन, दोपहर में, अनार की कलम और हल्दी की स्याही से भोजपत्र पर करें। यंत्र-लेखन तथा पूजन के समय बिना सिला हुआ वस्त्र पहनना आश्यक है। यंत्र लिखने के बाद प्रारंभ के दिन से सातवें रविवार तक प्रतिदिन प्राय: सात बजे से यंत्र की पूजा आरंभ करके 1008 बार अर्थात् 10 माला प्रतिदिन उपर्युक्त मंत्र का जप करना चाहिए। पूजा-स्थान शुद्ध व एकांत में हो

English Summary: marriage-tips
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