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कैसे पाएं भरपूर धन! आजमाएं ये तरीके

published: 04-01-2014

  रात-दिन मेहनत करके इतना धन तो अर्जित किया जा सकता है कि अपना और अपने परिवार का अच्छी तरह भरण-पोषण हो जाए परन्तु लाखों-करोडों की दौलत तो केवल भाग्य से ही मिलती है। अनेक अतियोग्य, मेधावी और मेहनती व्यक्ति जीवन भर छोटी-मोटी नौकरी ही करते रहते हैं, छोटा सा मकान बनाने तक का उनका सपना पूरा नहीं हो पाता। दूसरी तरफ अनेक मूर्ख और अयोग्य व्यक्ति लाखों रूपए प्रतिमाह अर्जित कर रहे हैं और इसका एकमात्र कारण यही है कि धन की देवी लक्ष्मीजी की उन पर भरपूर कृपा है। भगवती लक्ष्मी की कृपा और भरपूर धन प्राप्त करने हेतु अनेक टोने-टोटके, गंडे-तावीज, अंगूठियां और रत्न ही नहीं बडी-बडी तांत्रिक साधनाएं तक प्राचीनकाल से ही संपूर्ण विश्व में प्रचलित रही हैं। हमारे धर्म में दीपावली पूजन के साथ ही कई प्रकार के यन्त्रों, पूजाओं और मंत्रों की साधना प्राचीनकाल से होती रही है, तो इस्लाम में भी इस प्रकार के अनेक नक्श और तावीज हैं। इनमें से पूर्ण प्रभावशाली और साधना में एकदम आसान कुछ टोने-टोटके और यन्त्र-मन्त्र इस प्रकार हैं। शक्तिशाली टोटके  दान करने से धन घटता नहीं ,बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना ईश्वर हमें देता है। आयुर्वेद में वर्णित "त्रिफला" का एक घटक "बहेडा" सहज सुलभ फल है। इसका पेड बहुत बडा, महुआ के पेड जैसा होता है। रवि-पुष्य के दिन इसकी जड और पत्ते लाकर उनकी पूजा करें, तत्पश्चात् इन्हें लाल वस्त्र में बांधकर भंडार, तिजोरी या बक्स में रख दें। यह टोटका भी बहुत समृद्धिशाली है। पुष्य-नक्षत्र के दिन शंखपुष्पी की जड घर लाकर, इसे देव-प्रतिमाओं की भांति पूजें और तदनन्तर चांदी की डिब्बी में प्रतिष्ठित करके, उस डिब्बी को धन की पेटी, भण्डार घर अथवा बक्स-तिजोरी में रख दें। यह टोटका लक्ष्मीजी की कृपा कराने में अत्यन्त समर्थ प्रमाणित होता है। धन प्रापि्त के लिए दस नमस्कार मंत्र इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात्रि को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका स्तवत करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी। ओम धनाय नम:                    ओम नारायण नमो नम: ओम धनाय नमो नम:             ओम नारायण नम: ओम लक्ष्मी नम:                   ओम प्राप्ताय नम: ओम लक्ष्मी नमो नम:            ओम प्राप्ताय नमो नम: ओम लक्ष्मी नारायण नम:      ओम लक्ष्मी नारायण नमो नम: धन प्राप्ति हेतु तावीज यहां चार आसान यंत्र हैं। इनमें से किसी भी एक को कागज पर स्याही से अथवा भोजपत्र पर अष्टगंध से अंकित करके धूप-दीप से पूजा करें। चांदी के तावीज में यंत्र रखकर मातेश्वरी का ध्यान करते हुए इसे गले में धारण करें और ऊपर दिए गए किसी मंत्र का नियम से स्तवन भी करते रहें। संसार में सभी व्यक्ति भरपूर धन चाहते हैं और यही कारण है कि मातेश्वरी लक्ष्मी की कृपाएं प्राप्त करने के लिए बडे-बडे अनुष्ठान करते ही रहते हैं। बडे भाग्य से मिलती हैं लक्ष्मीजी की कृपाएं। यही कारण है कि इन सामान्य यंत्रों ओर यंत्रों के पश्चात् आगे परम शक्तिशाली मंत्र, यंत्र और तांत्रिक प्रयोग इस अध्याय में दिए जा रहे हैं। धनप्राप्ति के नौ सुगम मंत्र 1. ओं लक्ष्मी वं, श्री कमला धरं स्वाहा। इस मंत्र की सिद्धि एक लाख बीस हजार मंत्र जप से होती है। इसका शुभारम्भ वैशास मास में स्वाति नक्षत्र में करें तो उत्तम रहेगा। जप के बाद हवन भी करें। 2. ओं सचि्चदा एकी ब्रrा ह्नीं सचि्चदीक्रीं ब्रrा। इस मंत्र के एक लाख जप से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 3. ओं ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं क्रीं क्री क्रीं स्थिरां स्थिरां ओं। इसकी सिद्धि 110 मंत्र नित्य जपन से 41 दिनों में संपन्न होती है। माला मोती की और आसन काले मृग का होना चाहिए। साधना कांचनी वृक्ष के नीचे करनी चाहिए। 4. ओम नमो ह्नीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी ममगृहे धनं चिंता दूरं करोति स्वाहा। प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर एक माला (108 मंत्र) का नित्य जप करें तो लक्ष्मी की सिद्धि होती है। 5. ओम नमो पद्मावती पद्यनतने लक्ष्मीदायिनी वांछ भूत प्रेत विन्ध्यवासिनी सर्व शत्रुसंहारिणीदुर्जन मोहिनी ऋद्धि सिद्धि वृद्धि कुरू-कुरू स्वाहा। ओम नम: क्लीं श्रीं पद्मावत्यै नम:।  इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधना के समय लाल वस्त्रों को प्रयोग करना चाहिए और पूजा में प्रयुक्त होने वाली सभी पूजन-सामग्री को रक्त वर्ण का बनाना होता है। इसकी साधना अर्द्धरात्रि के समय करनी पडती है। इसका शुभारम्भ शनिवार या रविवार से उपयुक्त रहता है। 108 बार नित्यप्रति जप करें। छारछबीला, गोरोचन, कपूर, गुग्गुल और कचरी को मिलाकर मटर के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। जप के बाद नित्यप्रति इन गोलियों से 108 आहुतियां देकर हवन करना चाहिए। इस साधना को 22 दिन तक निरन्तर करना चाहिए। तभी लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त होती है।  6. ओम नमो पद्मावती पद्मनेत्र बज्र बज्रांकुश प्रत्यक्ष भवति। इस मंत्र की सिद्धि के लिए लगातार 21 दिन तक साधना करनी होती है। इस साधना को आधी रात के समय करना आवश्यक है। साधना के समय मिट्टी का दीपक बनाकर जलाएं। जप के लिए मिट्टी के मनकों की माला बनाएं और नित्यप्रति एक माला अर्थात् 108 मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप किया जाए तो लक्ष्मी देवी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है।  7. ओम नम: भगवते पद्मद्मात्य ओम पूर्वाय दक्षिणाय पश्चिमाय उत्तराय अन्नपूर्ण स्थ सर्व जन वश्यं करोति स्वाहा। प्रात: काल स्नानादि सभी कार्यो से निवृत्त होकर 108 मंत्र का जप करें और अपनी दुकान अथवा कारखाने में चारों कोनों में 10-10 बार मंत्र का उच्चारण करने हुए फंूक मारें। इससे व्यापार की परिस्थितियां अनुकूल हो जाएंगी और हानि के स्थान पर लाभ की दृष्टि होने लगेगी। 8. ओम नम: काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिये व्याली चार बीर भैरों चौरासी बात तो पूजूं मानए मिठाई अब बोली कामी की दुहाई। इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद प्रात: काल स्नान, पूजन, अर्जन आदि से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें और सुविधा अनुसार 7, 14, 21, 28, 35, 42 अथवा 49 मंत्रों का जप करें। इस प्रक्रिया से थोडे दिनों नौकरी अथवा व्यापार के शुभारम्भ की व्यवस्था हो जाएगी। 9. ओम नम: भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी सर्वकार्य वरदायिनी मम विकट संकटहारिणीय मम मनोरथ पूरणी मम शोक विनाशिनी नम: पद्मावत्यै नम:। इस मंत्र की सिद्धि करने के बाद मंत्र का प्रयोग किया जाए तो नौकरी अथवा व्यापार की व्यवस्था हो जाएगी। उसमें आने वाले विघA दूर हो जाएंगे। धूप-दीप आदि से पूजन करके प्रात: दोपहर और सायंकाल तीनों संख्याओं मे एक-एक माला का मंत्र जप करें। धन प्राप्ति के लिए शाबर टोटका  दीपावली के दिन प्रात: व्यक्ति बिना स्नान किए, बिना दातुन किए, एक नारियल को पत्थर से बांधकर नदी या तालाब के जल में डुबो दे और डुबोते समय प्रार्थना करे कि शाम को मैं आपको लक्ष्मी के साथ लेने आऊंगा। सूर्यास्त के बाद उस नारियल को जल से निकालकर ले आवें और लक्ष्मीपूजन के साथ उसकी भी पूजा कर भण्डारगृह या संदूक में रख दें तो पूरे वर्ष असाधारण रूप से धन प्राप्त होता रहता है। तीन मास में ही धनप्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र मंत्र- यक्षाम कुबेराय वैश्रवणाय, धन-धान्याधिपतये धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा। विधि- इस मंत्र को 108 बार जपने से तीन मास में ही लाभ होता है। अक्षय भंडार हेतु महालक्ष्मी मंत्र ओम श्रीं ह्रीं क्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:। विधि-शुभ तिथि व शुभ दिन प्रात: जप करना प्रारम्भ कर दें। कम से कम 1100 जप तो अवश्य ही करें। महालक्ष्मी सिद्ध मंत्र मंत्र- श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी माई सबकी सवाई आवो चेतो करो भलाई न करो तो सात समुद्रो की दुहाई, ऋद्धि-सिद्धि न करे तो नौ नाथ चौरासी सिखों की दुहाई।000 विधि- दुकानदार दुकानें खोले तब महादेव का थडा अर्थात् दुकान की गद्दी पर बैठकर इस मंत्र को प्रथम माला जप लें। धूप-दीप के पश्चात् फिर लेन-देन करें और न्याय-नीति से कारोबार करे। दशांश दान-पुण्य में लगाएं तो सभी प्रकार के सुख-शांति की प्राप्ति हेाती है। यदि पहले इस मंत्र का 41 दिन में सवा लाख जप दीप-धूप-पुष्प-फल-नैवेद्यादि विधान से करके फिर एक माला का नित्य जप करे तो लक्षाधिपति बनकर वैभवपूर्ण जीवन का अक्षय सुख प्राप्त करता है। सिद्ध करने का तरीका रविवार के दिन एक किलो काले उडद अपने सामने रखकर सूर्योदय से सूर्यास्त तक इस मंत्र का नियमित रूप से जप करने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। जब यह मंत्र सिद्ध हो जाए तब उन काले उडदों को लेकर 21 दिन मंत्र पढकर दुकान में बिखेर देवें, इस प्रकार तीन रविवार तक करने पर दुकान की बिक्री दुगुनी-तिगुनी हो जाती है। यह निश्चित है। जैसा कि बताया गया है, शाबर मंत्र सरल भाषा में होते है और आज के अनास्था तथा वैज्ञानिक युग में विश्वास नहीं होता कि ये मंत्र इतने शक्तिशाली है और इन मंत्रों से कार्य सिद्ध किए जा सकते है। परंतु साधकों ने इन मंत्रों को सिद्ध किया है और पूरी तरह से लाभ उठाया है। आप भी चाहें तो इन सत्य को परख सकते है। धन प्राप्ति हेतु तांत्रिक मंत्र यह मंत्र महत्वपूर्ण है, इस मंत्र का जप अर्द्धरात्रि को किया जाता है। यह साधना 22 दिन की है और नित्य एक माला जप होना चाहिए। यदि शनिवार या रविवार में इस प्रयोग को प्रारम्भ किया जाए तो ज्यादा उचित रहता है। इसमें व्यक्ति को लाल वस्त्र पहनने चाहिए और पूजा में प्रयुक्त सभी समान को रंग लेना चाहिए। दीपावली के दिन भी इस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है और कहते हैं कि यदि दीपावली की रात्रि को इस मंत्र को 21 माला फेरें तो उसके व्यापार में उन्नति एवं आर्थिक सफलता प्राप्त होती है। मंत्र- ओम नमो पदमावती एद्मालये लक्ष्मीदायिनी वांछाभूत प्रेत बिन्ध्यवासिनी सर्व शत्रु संहारिणी दुर्जन मोहिनी ऋद्धि-सिद्ध वृद्धि कुरू कुरू स्वाहा। ओम क्लीं श्रीं पद्मावत्यै नम:। जब अनुष्ठान पूरा हो जाए तो साधक को चाहिए कि वह नित्य इसकी एक माला फेरे। ऎसा करने पर उसके आगे के जीवन में निरन्तर उन्नति होती रहती है। धन प्राप्ति का शाबर मंत्र नित्य प्रात: काल दन्त धावन करने के बाद इस मंत्र का 108 बार पाठ करने से व्यापार या किसी अनुकूल तरीके से धन प्राप्ति होती है। मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मामगृहे धन पूरय चिन्ताम्तूरय स्वाहा। चिपकाने हेतु मंत्र नीचे प्रदर्शित चार यंत्रों में से किसी भी एक मंत्र को कागज अथवा भोजपत्र पर अष्टगंध अथवा केसर के घोल से लिखकर प्राण-प्रतिष्ठा और पूजा करने के बाद रूपए-पैसे रखने की तिजोरी अथवा जेवरों के डिब्बे में रखें। लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी। व्यापारी और उद्योगपति दीवाली पूजन के बाद दुकान या कार्यालय की दीवार पर सिन्दूर से और बही खातों के प्रथम पृष्ठ पर स्याही से कोई भी एक यंत्र बनाएं और फिर देखें इसका प्रताप। धन सम्पत्तिवर्द्धक यंत्र रवि पुष्य अथवा गुरू पुष्य के दिन भोजपत्र पर केसर की स्याही और अनार की कलम से निम्नांकित यंत्र लिखकर स्वर्ण के तावीज में रखें और गंगाजल आदि से पवित्र करके दाहिनी बाजू पर बांध लें। इसके प्रभाव से शारीरिक तथा आर्थिक क्षीणता समाप्त होकर, धन और स्वास्थ्य दोनों की वृद्धि होती है। इस तावीज को गले में धारण किया जा सकता है। धन सम्पदा प्रदायक दूसरा तावीज इस तांत्रिक यंत्र को अनार की कलम द्वारा अष्टगंध स्याही से भोजपत्र पर लिखें और चंदन, पुष्प, धूप-दीप से इसकी पूजा करें। पूजनोपरांत एक हजार बार मंत्र का जप करें। हवन-सामग्री में घी, चीनी, शहद, खीर और बेलपत्र आवश्यक हैं। यह प्रक्रिया किसी शुभ मुहूत्तü की शुक्ल द्वितीय को की जानी चाहिए। हवन आदि करने से यंत्र की शक्ति बढती है। तत्पश्चात् यंत्र को स्वर्ण या चांदी के तावीज में भरकर, लाल या काले धागे की सहायता से दाहिने बाजू या गले में धारण करें। इस तावीज का प्रभाव अचूक और चिरस्थायी होता है। धन प्रदायक लक्ष्मी बीसा तावीज  उपर्युक्त यंत्र तावीज को रवि पुष्य नक्षत्र में अनार की कलम के द्वारा भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखें। पीला वस्त्र, पीला आसान एवं पीली माला का प्रयोग करें। पूरब की ओर मुंह रखें। धूप, दीप, फल-फूल और नैवेद्य से यंत्र की नित्य पूजा करें और निम्न मंत्र की एक माला जप करें। ओम श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मै नम:। यह क्रम सवा दो महीने तक चालू रखें। फिर तिरसठवें दिन चांदी के एक पत्र पर यंत्र को बनाकर, उन बासठ यंत्रों को चांदी के पत्र वाले यंत्र के नीचे रखकर पूजा करें। अब बासठ यंत्रों में से एक यंत्र अपने पास रखें बाकी यंत्रों को आटे की गोलियों में रखकर नदी में बहा दें। जिस यंत्र को पास में रखा था, उसे सोने या चांदी के तावीज में डालकर गले में डालें या फिर बाजू मे&#

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