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वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव जीन में ऎसे परिवर्तन को पहचान लिया है जो दिन में एक ही समय उठने वाले या रातभर जागते रहने वाले लोगों की जनसंख्या को प्रभावित करता है। यह परिवर्तन यह भी पता लगा सकता है कि किसी व्यक्ति की मौत दिन के किस समय होने की संभावना अधिक है। इस अध्ययन में मिलने वाले आpर्यजनक नतीजों से काम का समय बदलने, चिकित्सीय उपचार की योजना बनाने और नाजुक हालत वाले मरीजों की स्थिति का जायजा लेने का समय तय किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार जीन में यह एक ऎसी सामान्य विसंगति है जो यह तय करती है कि आप हर दिन किस समय सोकर उठेंगे और आपकी मौत दिन के किस समय होने की संभावना अधिक है। हावर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर सैपर ने एक बयान में कहा, आभासी रूप से सभी शारीरिक क्रियाओं की एक लय होती है। मतलब यह हुआ कि मृत्यु की भी एक लय है। इसीलिए सामान्य जनसंख्या में औसतन लोगों की मृत्यु सुबह के समय होती है। कई बार यह समय औसतन सुबह 11 बजे का रहता है। अध्ययन के प्रमुख लेखक एंड्रयू लिम ने कहा कि हमारी आंतरिक "जैविक घडी" मानवीय जीव विज्ञान और व्यवहार के कई पक्षों को नियंत्रित करती है। इनमें सोने का समय, संज्ञान आधारित प्रदर्शन का समय और कई अन्य शारीरिक क्रियाओं का समय शामिल है। यह आघात या दिल के दौरे जैसी कई चिकित्सकीय घटनाओं के समय पर भी अपना प्रभाव डालती है।
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