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वियना- वैज्ञानिकों ने इस बात की आणविक कार्यविधि का पता लगा लिया है कि दुर्लभ काला डेहलिया पुष्प कहां से रंग प्राप्त करता है। वियना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि डेहलिया के काले लाल होने की वजह यह है कि उसमें एंथोसायनिन की मात्र अधिक होती है। यौगिक फ्लैवन की सांद्रता घटने से एंथोसायनिन की मात्र बढ जाती है। विभिन्न प्रकार के डेहलिया पुष्प बगीचे की शोभा बढाते हैं लेकिन काले डेहलिया कम ही मिलते हैं। दरअसल डेहलिया के रंग फ्लैवोनाइ्डस जैसे एंथोसायनिन, फ्लैवोन और फ्लैवोनोल्स जैसे यौगिकों की सांद्रता पर आधारित होते है। फ्लवोन और फ्लोवोनाइड्स हालांकि रंगहीन होते हैं लेकिन फूलों के रंग के निर्धारण में प्रभाव डालते हैं।
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