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बेंगलुरू। हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिकों के अनुसार उपग्रह के एक अध्ययन में सामने आया है कि हिमालय के पर्वतों में बन चुकी एक झील में यदि कभी दरार आई तो नीचे के इलाकों में भारी तबाही आ सकती है। यह झील सिçक्कम में सात हजार फीट की ऊंचाई पर दक्षिणी ल्होनक ग्लेशिअर के थूथन में बनी है। सेटेलाइट डाटा के अनुसार> खतरे का कारण ये है कि झील के किनारे कमजोर मिट्टी व पथरीले टुकडों के ढेर हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर इसमें दरार आती है तो नीचे तबाही मच सकती है। करंट साइंस के नवीन संस्करण में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार यह झील 630 मीटर चौडी व 20 मीटर गहरी है। यह 98.7 हेक्टेयर क्षेत्र में है तथा इसमें 19.7 अरब लीटर पानी है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस झील के टूटने से बाढ आने का खतरा बहुत ज्यादा है। वे हालांकि यह भी कहते हैं कि इसके बारे में और अध्ययन की जरूरत है। वैज्ञानिकों का यह भी अनुमान है कि यह ग्लेशियर 1962 से 2008 के बीच 1.9 किमी घट गया है।
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