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अहमदाबाद। साबरमती विशेष अदालत ने गोधरा कांड में दोषी पाए गए 31 लोगों में से 11 को सजा-ए-मौत तथा बाकी 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशेष अदालत के जज पीआर पटेल ने जिन 11 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है, उनको साजिश रचकर हत्या करने का दोषी माना और इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयरेस्ट ऑफेंस की श्रेणी का अपराध करार दिया। सरकारी वकील जेए पांचाल ने बताया कि 900 पेजी फैसले के मुताबिक कोर्ट ने पाया कि धारा 302 के तहत सिर्फ हत्या नहीं की गई, बल्कि इसके लिए इन 11 लोगों ने इसके लिए साजिश रची और उसे अंजाम देते हुए हमला किया, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई। अन्य बीस आरोपियों को इन लोगों का साथ देने और ट्रेन पर पत्थर फेंकने के दोषी माना। इन लोगों को विभिन्न धाराओं के तहत कोर्ट ने सजा सुनाई। पांचाल ने बताया कि जिन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, उनकी गिरफ्तारी के बाद जेल में काटे नौ साल की अवधि उनकी सजा से घटा दिया जाएगा। फैसले के मुताबिक दोषियों को अन्य धाराओं में सुनाई गई सभी सजाएं एक साथ भुगतनी होगी। अदालत ने इस जघन्य कांड में 22 फरवरी को फैसला सुनाया था, जिसमें 31 लोगों को दोषी करार दिया था। उनमें से 9 को इस घटना का मुख्य साजिशकर्ता माना था। सजा के लिए 25 फरवरी को हुई बहस के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। विशेष अदालत ने 22 फरवरी को 95 अभियुक्तों में 31 को दोषी करार दिया था जबकि 63 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इस कांड का मुख्य अभियुक्त हुसैन उमर इनमें शामिल हैं। कोर्ट ने जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है वे हैं- बिलाल इस्माइल अब्दुल मजीद सुजेला उर्फ बिलाल हाजी, अब्दुल रजाक मोहम्मद कुरकुर, रमजानी बिनियामिन बेहरा, हसन अहमद चर्खा उर्फ लालू, जबीर बिनियामिन बेहरा, महबूब खालिद चांदा, सलीम उर्फ सलमान यूसुफ सत्तार जर्दा, सीराज मोहम्मद अब्दुल मेडा उर्फ बाला, इपफान अब्दुल मजीद गंन्ची कलंदर उर्फ इरफान भोपा, इरफान मोहम्मद हनीफ अब्दुल गनी पटलिया और महबूब अहमद यूसुफ हसन उर्फ लतिको। दोषियों में छह लोग ऎसे हैं, जिनकी इस हादसे को अंजाम देने में अहम भूमिका थी। सबसे ब़डी दोषी रज्जाक कुरकुर है। उसने ट्रेन में आग लगाने की साजिश अमन गेस्ट हाउस में रची थी। इसके अलावा ट्रेन को आग लगाने वालों में जबीर बेहरा, इरफान पाटलिया, इरफान भोपा, शौकत लालू और मोहम्म लतिका प्रमुख हैं। मोहम्मद लतिका और जबीर बेहरा ने एस-6 और एस-7 कोचों को जे़डने वाले केनवास को काटा था। इसके बाद दोनों ट्रेन के डिब्बों में घुसे और अंदर से दरवाजा खोल दिया। इन सभी ने सीट नंबर 72 के पास पेट्रोल छि़डककर आग लगा दी थी। गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच को आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग जिंदा जल गए थे। मरने वालों में अधिकांश अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे। अभियोजन के मुताबिक साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच पर करीब एक हजार लोगों की भी़ड ने हमला किया था। इस घटना के बाद गुजरात में भारी सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिनमें 1200 लोगों की जानें गई थीं। राज्य सरकार की जांच पर सवाल उठने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में आरके राघवन के नेतृत्व में एक और जांच दल गठित करने का आदेश दिया था। इस मामले की सुनवाई जून, 2009 में शुरू हुई थी। इसके अभियुक्तों में से 80 जेल में हैं और 14 जमानत पर बाहर हैं। इन सबके खिलाफ आपराधिक ष़डयंत्र और हत्या का मामला दर्ज है।
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