बॉलीवुड में समानांतर सिनेमा के ‘आइकॉन’ रहे गोविंद निहलानी ने मंगलवार को कहा कि आज समानांतर सिनेमा और व्यावसायिक सिनेमा के भेद मिट रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि किसी भी विषय के तह तक जाकर फिल्मों का निर्माण किया जाए। गैर सरकारी संगठन ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन (जीएसएफ) की ओर से आयोजित आठ दिवसीय बोधिसत्व फिल्म महोत्सव 2017 के छठे दिन मंगलवार को आयोजित एक परिचर्चा में गोविंद निहलानी ने कहा, ‘एक समय था, जब सिनेमा के दो अलग वर्ग हो गए थे। एक व्यावसायिक सिनेमा देखने वाले और दूसरे सामानांतर सिनेमा देखने वाले। हमारी फिल्मों में स्टार नहीं हुआ करते थे।’ [# प्रियंका चोपडा के बारे में ये क्या बोल गए करण] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
‘आघात’, ‘तमस’ जैसी कई यादगार फिल्मों का निर्देशन करने वाले गोविंद निहलानी ने आगे कहा कि जैसे-जैसे समय गुजरता गया, अंतर मिटता गया। उन्होंने कहा कि दर्शकों ने उस समय भी उनकी फिल्में को पसंद किया।
जानेमाने फिल्म समीक्षक अजय ब्रम्हात्मज ने कहा कि समानांतर सिनेमा के लिए धन जुटाना आज भी थोड़ा मुश्किल है। उन्होंने तर्क देते हुए कहा, ‘भारतीय सिनेमा ‘पोपुलर कल्चर’ की शिकार है, यही वजह है कि अब फिल्म बनाने से ज्यादा उन्हें दर्शकों तक पहुंचाने की चुनौती है। भारत में मल्टीप्लेक्स जमींदार की तरह काम कर रहे हैं।’
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