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धर्मशाला। तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरू दलाई लामा ने निर्वासित तिब्बती सरकार के सांसदों के उस अनुरोध को शनिवार को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने उनसे राजनीति से सेवानिवृत्ति लेने के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। आध्यात्मिक गुरू के निजी सचिव चिम्मे चोइकयाप्पा ने आईएएनएस को बताया, ""धर्मगुरू दलाई लामा ने तिब्बती संसद के अनुरोध को ठुकरा दिया है। उनका फैसला अंतिम है।"" उन्होंने कहा, ""हमारे कार्यालय ने प्रस्ताव की प्रति को संसद के कार्यालय को वापस भेज दिया है।"" इसके पहले सभापति पेनपा जेरिंग ने कहा कि दलाई लामा को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए शुक्रवार को संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया और उसके बाद दलाई लामा को भेजा गया। उन्होंने कहा, ""हमने 37 सदस्यों द्वारा पारित एक प्रस्ताव को शनिवार को दलाई लामा के कार्यालय भेजा। इस दौरान संसद में धर्मगुरू के प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा हुई।"" निर्वासित सरकार के इस अनुरोध पर नोबेल पुरस्कार विजेता धर्मगुरू (75) ने एक बार फिर अपने फैसले पर दृढ़ता दिखाते हुए कहा कि उनका अपने फैसले से पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। दलाई लामा कार्यालय के संयुक्त सचिव तेनजिन तकल्हा ने आईएएनएस को बताया, ""धर्मगुरू ने अपने उपदेश में कहा कि उनका अपने फैसले से पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। इस बारे में फैसला लेने का अधिकार केवल उन्हीं के पास है।"" उन्होंने कहा, ""केवल एक सदस्य ने धर्मगुरू के प्रस्ताव का पक्ष लिया जबकि बाकी सदस्यों की राय है कि धर्मगुरू को आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता के रूप में तिब्बतियों का नेतृत्व करना चाहिए।""
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