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अयोध्या फैसले से पूर्व शांति की पुरजोर अपील

published: 23-09-2010

नई दिल्ली/भोपाल/बेंगलुरू। अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 24 सितम्बर के प्रस्तावित फैसले के पूर्व बुधवार को सरकार से लेकर समाज के विभिन्न तबकों की ओर से शांति और सौहाद्रü बनाए रखने की पुरजोर अपील की गई है। जहां केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम ने नई दिल्ली में विधिवत संवाददाता सम्मेलन बुला कर नागरिकों से शांति और सौहाद्रü बनाए रखने की अपील की, वहीं एडिटर्स गिल्ड ने फैसले से संबंधित खबरों के प्रकाशन और प्रसारण में संयम और सतर्कता बरतने की मीडिया हाउसों से अपील की। गांधीवादी संस्थाओं ने बयान जारी कर इस घडी को सौहाद्रü में बदलने की अपील की तो भोपाल में धर्मगुरूओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर शांति की पहल की। चिदम्बरम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस विवाद पर चार मुकदमे हैं और इन मुकदमों में कई सारे मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझना है। इलाहाबाद उच्चा न्यायालय की लखनऊ पीठ शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगी। चिदम्बरम ने कहा, ""इन मुद्दों में तथ्य और कानून के कई सारे जटिल प्रश्A शामिल हैं।"" चिदम्बरम ने कहा, ""फैसलों को सावधानीपूर्वक पढ़ा जाना चाहिए, और चारों मुकदमों में शामिल मुद्दों पर न्यायाधीशों के अलग-अलग निष्कर्षो के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचने के पहले उनका बारीकी से विश्षण किया जाना चाहिए।"" फैसले के पहले शांति बनाए रखने पर जोर देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ""कोई पक्ष जीत गया है या दूसरा पक्ष हार गया है, इस बारे में जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अनुचित होगा।"" चिदम्बरम ने कहा, ""मैं मुकदमों के सभी पक्षकारों के साथ ही आम जनता और मीडिया से अपील करना चाहूंगा कि वे फैसले पर या विशेष पीठ के फैसलों पर अपने विचार जाहिर न करें और जल्दबाजी में किसी तरह की घोषणा न करें।"" चिदम्बरम ने कहा कि आम जनता को अदालती फैसले को कानूनी प्रक्रिया की एक परिणति के रूप में लेना चाहिए। फैसले का सम्मान करना चाहिए और उसे स्वीकार करना चाहिए। चिदम्बरम ने यह भी कहा कि यह फैसला अपने आप में कोई अंतिम नहीं है। उन्होंने कहा, ""मुकदमे में शामिल पक्ष फैसले का अध्ययन कर सकते हैं और अगले कदम पर विचार कर सकते हैं। यह उचित होगा कि एक या दोनों पक्षों में से जो पक्ष यह समझे के फैसला उसके खिलाफ है, वह इस मुद्दे पर सर्वोच्चा न्यायालय में अपील करने के लिए तत्काल उच्चा न्यायालय की विशेष पीठ में आवेदन करें।"" चिदम्बरम ने इस बात से संतोष जतायाकि मुकदमे से संबंधित पक्षों सहित कई संगठनों ने लोगों से फैसले के मद्देनजर शांति एवं सौहाद्रü बनाए रखने की अपील की है। इस क़डी में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बुधवार को मीडिया संगठनों से कहा कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में इलाहाबाद उच्चा न्यायालय के फैसले के कवरेज में किसी भी सनसनीखेज रिपोर्ट को प्रकाशित या प्रसारित न किया जाए। गिल्ड की ओर से यहां बुधवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में सभी भारतीय एवं विदेशी मीडिया से कहा गया है कि ""पत्रकारिता की सर्वोच्चा परंपराओं और अपनी सार्वजनिक जिम्मेदारी का पालन करते हुए इस फैसले के प्रकाशन और प्रसारण में हमें हर संभव संयम बरतना चाहिए।"" गांधीवादी संस्थाओं की ओर से जारी एक बयान में आने वाले फैसले को सौहाद्रü की एक नई सुबह में बदलने का देशवासियों से आग्रह किया है। गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि, एवार्ड, आचार्य कृपालानी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि फैसला निश्चितरूप से किसी एक के पक्ष में होगा। लेकिन यह दूसरे पक्ष की समझदारी, विवेक व सौहाद्रü पर निर्भर करेगा कि एक की जीत को दोनों की जीत में बदल दिया जाए। उधर भोपाल में विभिन्न धर्मगुरूओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। धर्मगुरूओं ने शांति-सद्भाव के लिए सहयोग का मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया। चौहान ने प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा में कहा कि प्रदेश में शांति बनाए रखने के लिए प्रशासनिक अमले के निचले स्तर तक निर्देश दिए गए हैं। चौहान ने कहा कि शांति भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। धर्मगुरूओं के साथ चर्चा में चौहान ने कहा कि शांति बनाए रखना हमारा राजधर्म है और हर हाल में राजधर्म का पालन किया जाएगा। कर्नाटक सरकार ने 24 सितम्बर के फैसले के मद्देनजर राज्य के सभी शौक्षणिक संस्थानों को शुक्रवार और शनिवार को बंद कर दिया है। राज्य में पांच या उससे अधिक लोगों के एक साथ जमा होने और शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा ने संवाददाताओं को बताया, ""मैंने 24 व 25 सितम्बर को सरकारी एवं निजी दोनों तरह के स्कूलों एवं कॉलेजों को बंद रखने का निर्णय लिया है।"" बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त शंकर बिदरी ने घोषणा की कि निषेधाज्ञा, पांच या उससे अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध शहर में शुक्रवार सुबह छह बजे से रविवार सुबह छह बजे तक लागू रहेगा। येदियुरप्पा ने कहा, ""कर्नाटक में सभी धर्मो के लोग सौहाद्रü के साथ रहते हैं और मैं हर किसी से अपील करता हूं कि इस परंपरा को बनाए रखा जाए।"" दूसरी ओर फैसले से संबंधित अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बल्क एसएमएस और एमएमएस सेवाओं को 25 सितम्बर की शाम तक प्रतिबंधित कर दिया है। यहीं पर फैसले को टाले जाने की कोशिश में सर्वोच्चा न्यायालय में दायर की गई पूर्व नौकरशाह रमेश चंद्र त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई अदालत ने बुधवार को टाल दी। याचिका पर अब गुरूवार को सुनवाई हो सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति ए.के.पटनायक की पीठ ने कहा कि किसी सिविल सूट से निकल कर आए मामले की सुनवाई करने का उसका इरादा नहीं है। अदालत ने कहा कि अदालत की रजिस्ट्री से कह दिया गया है कि वह मामले को किसी उचित पीठ के समक्ष भेज दे। याची की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि यदि प्रधान न्यायाधीश संवैधानिक मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं, तो दूसरी वरिष्ठतम पीठ सभी आवश्यक मामलों की सुनवाई कर सकती है। याचिका में उच्चा न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत अयोध्या फैसले को टालने संबंधी याचिका खारिज कर दी गई थी। यही नहीं उच्चा न्यायालय ने त्रिपाठी पर 50 हजार रूपये का जुर्माना भी लगा दिया था। याचिका में अयोध्या विवाद पर फैसला टालने और इस जटिल मामले का अदालत से बाहर शांतिपूर्ण समाधान निकालने की संभावनाएं तलाशने के लिए संबंधित पक्षों को निर्देश देने की अपील की गई है। ज्ञात हो कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की एक पीठ बाबरी मस्जिद/रामजन्मभूमि विवाद पर 24 सितम्बर को अपना फैसला सुनाने वाली है।  

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