आखिरकार टॉयलेट की सीट को तोडऩे का फैसला किया
गया लेकिन इसमें डर इस बात का था कि पीडित के पैर में चोट आ सकती थी। लेकिन
इसके अलावा कोई और रास्ता न था। कई उपकरणों का इस्तेमाल कर सीट को तोड़
दिया गया। करीब 6 घंटे बाद महिला का पैर से गढ्ढे से निकाल लिया गया और
उसको कई चोट भी नहीं आई है। ये भी पढ़ें - क्यों ट्रेनों को जंजीर में बांधकर रखते है...!
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